जीवन बदल रहा
है अब मुझे
भी बदलना होगा।
बीते कुछ दिन
जीवन की सच्चाई
बयां करते है। कुछ
परिस्थितियां कुछ समाज
की रीतियाँ कुछ
गलत कुछ सही
सबको उतार चढाव
पर करके आज
मैं एक नए
रिश्ते में प्रवेश
करने जा रही
हूँ। वह क्षण
जब तुम्हारे संग
सात फेरे पड़ेंगे
छूट जाएगा पुराना
सब कुछ। साथ होंगे
सिर्फ संस्कार और
ज्ञान जो समय
और परिस्थिति से
सीखे समेटे हैं। ऐसा
कुछ होगा मानो
अपनी पसंद का
नया बसेरा। पर
लोग जब नन्ही
से नन्ही प्यारी
चीज़ संभाल कर
रखते है तो
क्या इतनी एहम
चीज़ को छोड़ना
ने दुःख नहीं
होगा। मालूम
नहीं कैसे कर
सकूंगी ये सब
जब मन की
भावनाओ को शब्द
देने मात्र से
दिल भर पड़ता
है। यहाँ
के आँगन में
जब मन चाहा
दौड़ पड़ी चिड़ियों
के पीछे पर
अब कदमो को
धीरे धरना होगा
ऐसे की घुँघरू
भी जोर न
बजे। जोर से
हंसना खिलखिलाना मत
दिन भर माँ
यही बोलती हैं।
सुबह पापा कहते
है सूरज से
पहले जग जाना
पर यहाँ तो
युही आलस में
सनी पड़ी रहती
हूँ देर तक।
अम्मा कल ब्याह
गीत गाते गाते
बाबा को याद
करके रोने लगी।
बोली यह हमारी
सबसे लाड़ली है
पूरा आँगन सूना
हो जाएगा इसके
जाने से।
मैं सोचती हूँ अचानक
से कितनी बदल
जाउंगी। अपना घर
आँगन बेगाना होगा
और अपने लोग
पराये। कैसे हो
पाएगा ये सब।
अभी ही तो
जानना शुरू किया
था अपनी रस्मों
रवायतों को और
अब कल विदा
हो जाउंगी। सुहागन
होकर नयी क्षमताएं
और नयी जिम्मेदारियां
उठाना अद्भुत है
पर वो जो
पीछे खड़े मेरी
विदाई पर आंसू
बहाते माँ पापा
है उनसे जी
नहीं छूटता। एक बहन
है छोटी जिद्दी
भी है उसकी
ज़िद सुने बिना
दिन नहीं कटा
आजतक। दादी जब
आचार डालती है
तो ऐसी कोई
गर्मी नहीं बेटी
जब मर्तबान
से हल्दी मसाले
लगे कच्चे आम
न चुराए हो। वो
आम भी अब
याद करेंगे मुझे।
ये दीवार पर
जो पिछली दिवाली
पर पेंटिंग बनायीं
थी वो भी
देख रही है
मुझे। यहाँ घर
में चाचा चाची
हैं जो टॉफ़ी
से लेकर कपड़े
तक सब पहले
मेरे लिए करते
हैं। एक भाई
है जो हर
छोटी बात पर
लड़ता है और
हर नया गाना
साथ मिलकर गाता
है। एक और
छुटकी है मनु
वो दिन भर
इंतज़ार करती है
मुझसे अपने सवालो
के जवाब पाने
का। यह
बड़ा आँगन है
जिसमे हर बारिश
में भीगे बिना
सावन नहीं मनता
मेरा।
यह सब ऐसे
छूट रहा है
जैसे मुट्ठी से
रेत। बड़ा खली
सा होता है
मन ये सब
सोच कर लेकिन
एक नयी दुनिया रिश्ते
मेरा इंतज़ार कर रहे
है इसलिए अब
मुझे जाना होगा।
जग की यह
रीत है। बस न
कोई गुन न
ढंग ना मुझमे
कोई बात है
मेरी चूड़ियों की
लाज अब तोरे
हाथ है . . . .