क्या फर्क पड़ता है किसी को? कल दामिनी थी फिर कोई गुड़िया थी फिर आज आसिफा है कल को कोई और होगी | पता नहीं कौन? मैं भी हो सकती हूँ| पर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता| हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध , जैन , लम्बी, छोटी, काली , गोरी, नवजात, बूढ़ी, विवाहित, विधवा, कन्या , विक्षिप्त, विकलांग या कोई भी| कोई भी! योनि होनी चाहिए|
पर ध्यान दीजिये भईया न बोलती हो वरना बलात्कारियों को दया आ सकती है | देखिएगा छोटे कपड़े ही पहनती हो क्योंकि ढंके मूंदे और पूरे कपड़े पहनने वाली लड़कियों का रेप नहीं करते ये लोग | ध्यान रखियेगा की हिन्दू के सामने मुस्लमान ही हो और मुस्लमान के सामने हिन्दू ही हो वरना उनको मज़ा नहीं आएगा| ये सब बातें ध्यान से समझ लीजिये| भई आखिर सारी मेहनत बलात्कारी ही करेंगे क्या, कुछ तो आप भी तैयारी रखिये | न ! चिंता मत कीजिये आपको न्याय नहीं मिलेगा | बिलकुल भी नहीं | मिलने ही नहीं देंगे | कोई ताकत नहीं जो आपको न्याय दिला दे | थोडा प्रोटेस्ट होगा और आप थोड़े फेमस होंगे बस | इतनी लाइम लाइट तो सम्भाल ही लेंगी आप |
मैं सोचती हूँ की ये इश्तेहार निकलवा देना चहिये| योनि चाहिए भेदने के लिए| क्षत विक्षत करने के लिए | अंग चाहिए नोचने के लिए | अपनी हवस बुझाने के लिए | सुबह दोपहर शाम रात हर क्षण | मर्दाना ताकत की गोलियां हम खा लेंगे और सेक्स ड्राइव के लिए योनि वाले उस शरीर को इंजेक्शन दे देंगे|
छिः!!
आपको बताऊँ ? ये सब लिखते वक़्त मेरी आँखों में बिलकुल आंसू नहीं हैं लेकिन मेरे हाथ काँप रहे हैं| डर से| इतना डर जो रातों को सोने नहीं देता| सड़क पर चलने नहीं देता| अकेले में डर भीड़ में भी डर | मेरे साथ नहीं हुआ इश्वर न करे कभी हो लेकिन मैं महसूस कर सकती हूँ| हर लडकी कर सकती है | हर लड़की | जब बस में चलते समय कई आँखे उसे भीतर तक झांकती हैं | आँखों से अंगों को छूते हैं |जब किसी भीड़ वाले इलाके में शायद ऑटो ढूंढते समय कोई हाथ उसके सीने पर या कोई उसके पीछे से छू कर गुजरता है | जब कोई अश्लील इशारे करता है , जब कोई भद्दे मेसेज करता है | तब ये स्पर्श शरीर पर नहीं आत्मा पर होता है | दिल में खौफ होता है की मालूम नहीं कब सामने बैठा ये शक्स मेरे साथ हैवानियत पर उतर आये| इतना जादा डर कि मैं इनसब खबरों को पढने से डरती हूँ| पिछले कई दिनों से आसिफा के बारे में दिन रात सुबह शाम सोचती रहती हूँ| दामिनी को भी ऐसे ही सोचती थी |
इतनी भूख कहाँ से लाते हो तुम लोग? भेड़िये हो क्या?
बच्ची नहीं दिखती बूढ़ी नहीं दिखती| और फिर कोई तुम्हारा नेता बोलता है गलती हो गयी लडकों से! कोई बोलता है तीन बच्चों की माँ के साथ कौन बलात्कार करेगा ?
गाली दे कर भी क्या करूं तुमलोगों का? अपने शब्द खराब होते हैं| यहाँ तो बाज़ार लगा है जब चाहो किसी को भी उठा लो , हवस बुझा लो , मरते दम तक बुझा लो और फिर कूच कूच के मार दो | जो मन आये करो| कोई नहीं रोक सकता तुमलोगों को | जब भगवान नहीं रोक पाया तो | मुझे किसी से कोई उम्मीद नहीं| मैं लड़की होने के लिए खुद ही शर्मसार हूँ|
- एक खौफज़दा भारतीय लड़की