Saturday, 3 January 2015

नव वर्ष मंगलमय हो


मेरे जीवनसाथी,

साल २०१४ तो मानो पलक झपकते ही बीत गया और यह नया साल नयी उमीदों के साथ हमारे कल को सँवारने के लिए हमारे सामने खड़ा है | बीता साल मुझे कई खट्टी मीठी यादे तोहफे में दे गया | तुम हालाँकि मेरे जीवन साथी मेरे समय के आरम्भ से हो पर इस साल जब मैंने अपने वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया तो इस तरह से वर्षों का यह आना जाना मुझे काफी अपना सा लगने लगा | वियोग और संयोग का मिश्रण| सुख और दुःख का संगम | जाने वाला साल एक लड़की की तरह जो अब अपना घर छोड़ कर अपने ससुराल में यानी नए साल में कदम रख रही हो | बीते सालों से जिस तरह हम अपने अनुभवों और यादों को संजोते हैं, महीने दर महीने जीवन के उतर चढ़ावों को झेलते हैं उन्ही बातों की सीढ़ी बनाकर नए साल में हम आगे बढ़ते जाते हैं | एक लड़की का जीवन भी तो ऐसा ही होता हैं ,जिन संस्कारों को वो अपने घर में सीखती समझती है उन्ही आचार व्यव्हारों को लेकर वो अपने ससुराल जाती है | पुराने सभी रिश्तों को बीते दिनों की तरह पीछे छोडती हुई और नए रिश्तों से मन लगाती हुई | पूरा जीवन अगर महसूस किया जाए तो कुछ इसी प्रथा का उदाहरण है या यूँ कहें की यह प्रथा जीवन चक्र का उदाहरण | गीता में लिखा है की आत्मा को नए शरीर में जाने के लिए पुराने शरीर को त्यागना पड़ता है जैसे हर नए रिश्ते को अपनाने के लिए पुराने रिश्तों से नाता तोडना पड़ता है जैसे हर नए साल में जाने के लिए पुराने साल को पीछे छोडके आगे आना पड़ता है | यह आते जाते साल कुछ सात फेरों जैसे लगते हैं | मन गीत की उन पंकित्यों को दोहराता है कि जैसे जैसे भांवर पड़े मन अपनों को छोड़े ,इक इक भांवर नाता अनजानों से जोड़े | ऐसे ही जैसे साल दर साल हम एक नयी भांवर पार करके अनजाने नए वर्ष से जुड़ जाते हैं और बीते रिश्तों और बातों की कचोटन को कहीं पीछे दबाते चलते हैं | शायद इसी का नाम तो जीवन है |
और फिर आने वाला साल कैसा होगा इसका अंदाज़ा होने वाली ससुराल की तरह केवल पहले से ही लगाया जा सकता है , जब उसमे पांव पड़ते हैं तब उसकी वास्तविकता का अंदाजा होता है की वो वाकई वैसा ही है जैसा हमने सोचा और प्लान किया था या उससे कुछ अच्छा या ख़राब | पर नया साल और ससुराल दोनों एक से ही हैं दोनों में ही सभी बातें इस बात पर निर्भर करती हैं की हम समय और परिस्थितियों के साथ किस तरह सामंजस्य बना सकते हैं | किताबी बातों से एकदम परे वास्तविकता का धरातल है ये दोनों| और तुम मेरे आचरण तुम मेरे जीवन साथी हो और तुम्हे भीड़ से अलग देखने की इच्छा में मैं अपने जीवन का एक और साल तुम्हारे नाम करती हूँ | मेरे साथ तुम्हारे सम्बन्ध इस बात पर निर्भर करते हैं की मैंने अपने मायके यानि की पुराने साल से कैसे संस्कार लिए हैं | अपने जीवन साथी से प्रेम और उसका सम्मान करना उसे और बेहतर बनाने का प्रयास करना हर एक पत्नी का कर्तव्य होता है तभी तो वह अपने जीवन को उच्चतम बना पाएगी | तुमसे मेरे संबंधों को मेरे परिवेश ने पाला पोसा है और तुम्हारे हाथों को थामे मैं आज फिर एक नए वर्ष में प्रवेश कर रही हूँ | यहाँ से आगे का पूरा सफर पहले की तरह सिर्फ तुम्हे और मुझे अकेले तय करना है | जीवन की कठिनाईयों में मैं आशा करती हूँ की तुम मेरे साथ मजबूती से खड़े रहोगे क्योकि तुम्हारा कमजोर पड़ना मेरे लिए घातक साबित हो सकता है |तुम्हारे साथ मेरी गृहस्थी की नीव पड़े हुए एक अरसा बीत गया लेकिन हर नया वर्ष नए संघर्षों को लाता है और मुझमे तुमसे अलग होने का भय पैदा कर देता है | इस वर्ष मेरे जीवनसाथी मैं तुम्हारे साथ अपने रिश्ते को विश्वास और धैर्य के एक अलग शिखर पर ले जाना चाहती हूँ |मैं चाहती हूँ की हमारे प्रेम की प्रगाढ़ता नित प्रतिदिन बढे और हमारे साथ की डोर और अधिक मजबूत हो | मेरे आचरण मेरे जीवन साथी नए साल की नयी चुनौतियों में तुम्हारे साथ के सहारे मैं कोई भी बाधा पार कर सकती हूँ | बस आशा है की नया वर्ष हमारे सम्बन्ध को खुशियों से भर दे |

नयी उम्मीदों और नए संघर्षों के साथ आया यह नवीन वर्ष तुम्हे मंगल मय हो |

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