Wednesday, 12 September 2018

मेरी रेलयात्रा

भारत विविधताओं का देश है। वाकई। अबतक ये विविधता हमने किताबों में पढ़ी की देश में तमाम राज्य है सबकी अलग बोली, अलग भाषा, अलग रीत रिवाज़ अलग संस्कृति, अलग परिवेश। ये सब सच है। पर इसके साथ ही भारत में और कई विविधताऐं देखने को मिलती हैं। मसलन नक्खास की बाज़ार और वेव का मॉल कल्चर। जैसे प्राइमरी विद्यालय के मिड डे मील वाले बच्चों से लेकर इंटरनेशनल स्कूलों के हाई क्लास किड्स। या फिर ट्रेन के जनरल या स्लीपर डिब्बे में सफ़र करने से लेकर हवाई जहाज़ की इकॉनमी क्लास का पैसेंजर(ग़ौर फरमाइए यहां मैंने बिजनेस क्लास की बात नहीं की)।

कई मर्तबा टेम्पो, बस, ट्रेन, हवाई जहाज़ सभी से सफ़रकरने का मौका मिला, सभी ने किया होगा और मैं दावे से कह सकती हूँ की भारत की नब्ज़ पकड़नी हो तो भारतीय रेल से  सफ़र कीजिये। हवाई जहाज़ से सफ़र करने वाला भारत ट्रेन के जनरल डिब्बे में बैठे भारत से बहुत अलग है। ये भारत ज़ोर से ऊँची आवाज़ में बोल सकता है, खुल के हँस सकता है। लइया चूरा खाता है। आराम से खर्राटे लेकर सोता है, उसको कोई हिचक नहीं वो ज़मीन पर भी सो सकता है। उस भारत का कोई बच्चा कंधे पर लटका हुआ सोता रहता है, उसे गर्मी भी नहीं लगती और वो मुँह से लार टपकाता हुआ अपने भविष्य के सपने बुनता रहता है। ये भारत अंग्रेज़ी में शो ऑफ नहीं करता। इसकी भाषा तो इसकी बोली है। इसको फ़र्क नही पड़ता की अयोध्या में मन्दिर बने या मस्जिद। न इसको इस बात का पता है की अनुष्का शर्मा ने अपनी शादी में कौन से डिज़ाइनर का लहँगा पहना। ये 20 रुपये के माज़ा में खुश है। ये मोबाइल में ज़ोर से अक्षय कुमार की खिलाड़ी फ़िल्म का गाना बजा कर ख़ुदको हेप समझता है।

भारत सच में यही है। ये मेट्रो में नहीं मिलेगा न ही बुलेट ट्रेन में। ये भारतीय रेल के जनरल डिब्बे में ऐश से कुल्हड़ में चाय पी रहा है।

आप समय निकाल कर इससे मिलिएगा। फिलहाल मेरा स्टेशन आ गया।

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