Monday, 22 October 2018

Nari is no more an abla, she can make you tabla


भारतीय महिलायें; खास तौर पर मध्यम वर्गीय शादीशुदा कामकाजी महिलायें| इस प्रगतिशील समाज में स्वयम को स्थापित करने की सबसे बड़ी लडाई अगर कोई लड़ रहा है तो वो है मध्यम वर्गीय महिला| ये सशक्त है भी और नहीं भी| पर ये मजबूत ज़रूर है| मसलन घर के चौके बर्तन से लेकर बैंक में खाते की जानकारी तक और किसी दफ्तर में अकाउंट संभालने से लेकर किसी कवि सम्मेलन में अपनी लिखी कविता पढने तक| शहर के किसी कोने में होने वाले सेमिनार में भी जाती है और बच्चों के स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग भी अटेंड करती है | मॉल से लेकर मंगल बाज़ार तक सब कुछ छान सकती है | गाँव में सीधे पल्ले की साड़ी पहन लेती है तो डिस्को थेक में डेनिम्स में भी उतनी ही खूबसूरत लगती है | वो घर के आंगन को गोबर से लीपना भी जानती है और माइक्रोवेव में चीज़ पास्ता बनाना भी उसे बखूबी आता है | ये मिडिल क्लास लेडी जो है उसका क्लास बड़ा क्लासी है| पूरी दुनिया को आराम से अपने कदमों पे ले आने का जज़्बा रखती है| 


पर देखिये ऐसा नहीं है की वो अजेय है | वो भी हारती है और हर रोज़ हारती है | गौर करने वाली बात है कि उसे हराने वाले इस पुरुषसत्तात्मक समाज में पुरुष नहीं स्वयं एक महिला ही होती है | वो हारती कहाँ है जहाँ कहीं वो बिना नहाये जल्दबाजी में खाना बना ले, जब कभी वो पूजा में आलता लगाना भूल जाये, अगर उसके दही बड़े सॉफ्ट न बने हो, अगर वो अपने से बड़ों के पैर दिन में 4 बार न छुए , अगर वो बाल बनाये बिना पूजा करले, अगर वो त्यौहार के दिन चूल्हे पर तवा चढ़ा दे, अगर वो पूजा में साड़ी न पहने, अगर वो पति के पैर न छुए, अगर वो देर तक सो जाये, अगर वो बिना आज्ञा लिए अपने मायके चली जाए, अगर वो सवाल पूछे जाने पर शांत रहे और अगर वो सवाल पूछे जाने पर जवाब दे दे तो भी | अगर वो सबसे हँस के मिले तो और अगर सबसे हँस के न मिले तो भी | अगर वो किसी गैर ज़रूरी इन्सान के पैर न छुए तो और अगर उसके आगे पूरा सर न ढके तो भी | अगर सुबह उठ कर झाड़ू न लगाये तो और अगर नौकर क हाथ से खाना बनवाए तो भी | अगर पति की हाँ में हाँ मिलाये तो और अगर न मिलाये तो भी| अगर घर में किसी को कुछ बताये तो और न बताये तो भी | क्योंकि अगर वो ऐसा कर लेती है तो “हाय राम! ये क्या कर दिया”(कृपया इसे पूरे सुर में पढ़ें)|


देखिये वो जीतने से ज्यादा तो हार रही है | अगर उसका जन्म स्त्री के रूप में हुआ है तो उसके माथे पर यह लिखकर नहीं आया कि खाने में उसको सब बनाना आता हो, बुनाई में उसको सारे फंदे आते हों, दीपावली में वो पचहत्तर तरह की रंगोली बना लेती हो या और भी बहुत कुछ | वो जैक ऑफ़ आल ट्रेड्स है पर आप उसे मास्टर ऑफ़ आल ट्रेड्स बनाना चाहते हैं | इतनी महत्वाकांक्षाओं के तले उसको दबाने की पूरी कोशिश रहती है| गौरतलब है कि कभी वो इनसब बातों से हार मानने से इंकार करदे तो उसकी माँ बहने ही उसकी माँ बहन करदें| कमाल का देश है भारत और समाज तो भाई वाह|


लेकिन कमाल की बात ये है कि कोई कुछ कहेगा नहीं | कुछ शांत रहेंगे और मेरे जैसे कुछ फेसबुकिया लेखक कुछ भी लिख कर अपनी भड़ास निकालेंगे | लेकिन करेगा कोई कुछ नहीं | शायद कोई कुछ करना ही नहीं चाहता | शायद कुछ करने से घर का माहौल बिगड़ सकता है | घर के माहौल को बनाये रखने की ज़िम्मेदारी महिलाओं की ही तो है | हाँ ! मैं अपने स्तर पर ये कोशिश ज़रूर करुँगी कि मैं किसी की माँ बहन की माँ बहन न करूं |

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