पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम साहब बड़े
ही कमाल के व्यक्तित्व थे | ३ रोज़ पहले अकस्मात् उनके निधन ने देश को असीम क्षति
पहुंचाई है | उनके विषय में लिखने को मेरे पास शब्द नहीं थे , पर जैसे ही उनके नाम
के आगे स्वर्गीय लिखा, ऐसा लगा जैसे किसी अपने को एक झटके से खो दिया हो| मानो कोई
हाथ से रेत की तरह फिसल गया या कोई हरा भरा बगीचा हवा के एक झोंके से उजड़ गया|
भारत ने सदियों में कहीं पैदा होने वाले अपने एक ऐसे पुत्र को खो दिया जिसकी इस
समय देश को बहुत अधिक ज़रूरत थी |
कलाम ने चलते चलते जीवन के कई मूल्यों को सिद्ध
कर दिया | सरल जीवन जीने और उच्चतम विचार रखने वाले कलाम भारत के ११वें राष्ट्रपति
होने के साथ ही महान विचारक, विद्वान वैज्ञानिक और उच्च कोटि के मनुष्य थे लेकिन
इतिहास में वे अपना नाम किसी राष्ट्रपति, वैज्ञानिक या विचारक के रूप में नहीं बल्कि
एक शिक्षक के तौर पर दर्ज करना चाहते थे | और प्रकृति के खेल देखिये की उनकी अंतिम
इच्छा स्वयम इश्वर ने पूरी की| उनकी मृत्यु के विषय में सभी को ज्ञात है |
प्रारंभिक जीवन को आभाव में बिताने के बाद भी जो व्यक्ति भारत का मिसाइल मैन बना
वो कलाम साहब के अलावा दूसरा कोई नहीं हो सकता था | वे एक साइंटिफिक संत थे |
राष्ट्रपति के पद से मुक्त होते ही उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी दान कर दी |
सांवल चेहरा लम्बे बाल और दो इंच की मुस्कान लिए
देश के इस पुत्र ने कई पुरानी धारणाओं को तोडा| लम्बे बाल वाले लड़के सिर्फ सलमान
या जॉन अब्राहम नहीं होते , वो कलाम भी होते हैं | प्रकृति और बच्चों से प्यार
करने वाले कलाम ने यह कहकर शादी नहीं की कि पूरा देश जब उनका परिवार है तो उन्हें
अपने परिवार की क्या ज़रूरत| डॉ कलाम प्रत्येक
सप्ताह घंटों देश के बच्चों के साथ उनके भविष्य के विषय में सोचते हुए तथा उनके
द्वारा विचारणीय विषयों पर चर्चा करते हुए व्यतीत करते थे| सैकड़ों
बच्चे उन्हें प्रतिदिन पत्र लिखते और वो सभी पत्रों का जवाब देने का प्रयास करते
थे|
शिलोंग में धरती को जीने लायक
कैसे बनाया जाये इस विषय पर भाषण देने के बाद उन्होंने बच्चों के साथ विचार विमर्श
करने का मन बनाया था की देश को को राजनीति को बेहतर गति कैसे दी जाए| किन्तु यह
विमर्श करने के लिए वे हमारे बीच नहीं रहे | वे चाहते थे की बच्चे इस विषय पर अपने
क्रन्तिकारी विचारों से नये बदलाव लेकर आये |
एक बार कलाम साहब से एक छात्र
ने पूछा की आपके अनुसार भाग्य की कृपा का सफलता में क्या महत्व है ? उन्होंने जवाब
दिया कि कठिन परिश्रम पहले आता है..
भाग्य तुम्हारा साथ देगा जब तुम कठिन
परिश्रम से लगे रहोगे.. एक प्रसिद्ध कहावत है, “ईश्वर उन्हीं की मदद करते हैं, जो
अपने स्वयं की मदद करता है.” एक
अन्य कहावत यह भी है, कि रातों-रात
सफल बनने के लिए कई वर्षों तक कठिन परिश्रम करना पड़ता है| उनका यह मानना था कि विज्ञान जन्म लेता है, और
जीता है केवल प्रश्नों द्वारा..
विज्ञान की पूरी आधारशिला प्रश्न
करना है. और
जैसे कि माता-पिता और अध्यापकगण अच्छी तरह
जानते हैं, बच्चे कभी भी न समाप्त होने
वाले प्रश्नों के स्रोत हैं, इसलिए बच्चा सबसे पहला वैज्ञानिक है|
कलाम साहब कहते थे की उनके
जीवन की यही इच्छा है की वे चलते फिरते, कुछ बेहतर करते कुछ उत्पादक करते , देश
हित में तत्पर रहते हुए मृत्यु को प्राप्त हों | वे चाहते थे की देश के सभी युवा
अपनी शिक्षा पूरी कर समपर्ण के साथ काम करें और उसमे श्रेष्ठ बनें| प्रत्येक
व्यक्ति कम से कम दस लोगों को पढ़ायें जो परिस्थितयों वश पढ़ नहीं सकते | अपने आसपास
कम से कम दस पौधे लगायें और उनकी वृद्धि सुनिश्चित करें | मुसीबत में पड़े लोगों की
मदद करें | अपने आसपास के व्यक्तियों को नशे से मुक्ति दिलाएं , इमानदार रहें और
भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनायें| सजग नागरिक बने और परिवार को कर्मठ बनायें| देश में
समरसता का संचार करें और किसी भी धर्म , जाती और भाषा में अंतर न करें ना ही उसका
अपमान करें | मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांगो से मित्रवत रहें जिससे वे सामान्य
महसूस करें और कठिन परिश्रम करें और अपने देश की और देश वासियों की सफलता पर
गौरवान्वित महसूस करें|
कलाम एक ऐसी शख्सियत थे जिनके आवाहन पर देश में
होने वाले दंगे फसाद रुक सकते थे | यूँ तो हर सफल व्यक्ति का कोई न कोई आलोचक होता
है पर कलाम एक अपवाद थे | उनका आदर्शमय जीवन हम
सभी के लिए हमेशा से प्रेरणास्पद रहा है, उनकी बातें नई दिशा दिखाने
वाली हैं, उन्होंने
करोड़ों आँखों को बड़े सपने देखना सिखाया है, वे कहते थे, “इससे
पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे। “
यह काल चक्र है की जिसने जन्म
लिया उसकी मृत्यु निश्चित है | हाँ आपके अकस्मात् ही चले जाने का अपार दुःख है
किन्तु हम सब युवा आपके दिए गये आदर्शों का पालन करके अपने भीतर के कलाम को जागा
सकते हैं | आपके मूल्यों के पथ पर चलते हुए हमारे भीतर के कलाम की हमारे देश को
जरूरत है | आपकी धरा को हम संजोएँगे कलाम| आपको हमारा शत शत प्रणाम|
- आँचल
प्रवीण
स्वतंत्र
पत्रकार एवं लेखक
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