यारी है ईमान मेरा
यार मेरी जिंदगी... अरे जनाब सुनिए मैं बिलकुल ठीक हूँ और ये गीत गा के आपको ये
याद दिलाना चाहती हूँ की अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस यानि आपका और हमारा चहीता
फ्रेंडशिप डे बस आ ही गया है | अब बात शुरू हुई गाने से तो याद दिला दूं के हमारी
बॉलीवुड इंडस्ट्री ने अबतक दोस्ती पर आधारित इतनी फिल्मे बनायीं है जिन्हें हम अगर
याद करने बैठे तो पूरा दिन कब बीत जाएगा मालूम ही नहीं चलेगा | दोस्ती चाहे दोस्त
से हो या माँ बाप से ; प्रेमी से हो या प्रकृति से या फिर जानवरों से या पेड़ पौधों
से इन सभी पहलुओं को हमने फिल्मों के माध्यम से बहुत अच्छी तरह से जाना और समझा है
|
बात करें 1964 में
बनी फिल्म दोस्ती की जिसमे दो दोस्त एक दुसरे की विकलांगता को ठेंगा दिखाते हुई
सभी दिक्कतों से लड़ते हुए जिंदगी की दौड़ जीतते है, या बात करें १९८१ में बनी
याराना की जिसमे एक दोस्त अपना सबकुछ अपने दोस्त को एक चमकता हुआ सितारा बनाने के
लिए दांव पे लगा देता है | ज़ंजीर १९७३, मासूम १९८३ , हाथी मेरे साथी १९७१ , आनंद
१९७१, शोले १९७५, अंदाज़ अपना अपना १९९४,
दिल चाहता है २००१ , रंग दे बसंती २००६, रॉक ओन २००८, कुछ कुछ होता है १९९८,
जाने तू या जाने ना २००८, मुन्ना भाई २००३ , दोस्ताना २००८, थ्री इडियट्स २००९, ये
जवानी है दीवानी २०१३, क्वीन २०१४ , काई पो छे २०१३ ,जिंदगी न मिलेगी दोबारा २०११,
कोई मिल गया २००३ आदि कई ऐसी फ़िल्में है जो आम जिंदगी से ऊपर उठकर हमारे सामने
दोस्ती का एक दूसरा पहलु उजागर करती हैं|
अगर गहरायी से समझे
तो आप पाएंगे की ये रिश्ता इतना विशालऔर विस्तृत है की इसे किसी एक दिन की सीमा
में बाँध पाना संभव नहीं है | दोस्तों के लिए तो हर रोज़ ही फ्रेंडशिप डे होता है |
मुझे याद है स्कूल के दिनों में हम सभी अपने दोस्तों के लिए दर्जनों फ्रेंडशिप
बैंड्स , गिफ्ट्स और कार्ड्स लेकर जाते थे | आज भी वे एक बंडल के जैसे मेरे पास
रखे हुए हैं पर आज दोस्त के नाम पर उनमे से कुछ ४ ६ लोग ही साथ है| पर कुछ दोस्त
ऐसे भी हैं जिनके साथ वक्त ने हमे एक अनदेखे फ्रेंडशिप बैंड से बांधा है और बिना
किसी दिखावे और उम्मीद के वो हमेशा साथ होते हैं| यही समय है जो हमें हमारे
दोस्तों की परख कराता है | कहते हैं सुदामा और कृष्ण की दोस्ती , राम और विभीषण की
मित्रता, अर्जुन और कृष्ण की मित्रता हमारे लिए मिसाल हैं| रिश्ता जो भी हो शुरुआत
दोस्ती से ही होती है | माँ बाप भी सबसे पहले दोस्त बनकर हमारे सुख दुःख बांटते है
| जीवन साथी के साथ शुरू हुआ रिश्ता भी पहले दोस्ती से ही अपनी नीव डालता है |
कहते हैं रिश्तों में अगर हम अच्छे दोस्त ना बन पाए तो रिश्ते की जड़ें कमजोर रह
जाती हैं |
दोस्ती का एक और
पहलु है जो हमारा रिश्ता प्रकृति और उसके अंश से कायम रखता है | हमारी हमारे पेड़
पौधों से , चिड़ियों, गिलहरियों , जानवरों से दोस्ती| हमेशा से हम सुनते हैं हैं की
कुत्ता इंसान का सबसे घनिष्ट मित्र होता है | किसी भी विपदा में चाहे कोई संग हो न
हो वो आखिरी सांस तक हमारे साथ होता है | दोस्ती के पहलुओं को गिनने बैठेंगे तो
शायद मेरे पास शब्दों की कमी पड़ जाए| इस कड़ी में यदि किताबों को भूल गये तो
मित्रता की परिभाषा अधूरी रह जाएगी| किताबें हममे से कईयों की मित्र है | कलाम
साहब भी कह गए हैं की एक अच्छी किताब सौ मित्रों के बराबर होती है और एक सच्चा
मित्र पूरी लाइब्रेरी के समान|
बिना किसी स्वार्थ
के अपने दोस्त के लिए हमेशा खड़े रहना| हमेशा उसे आगे बढ़ाना, उसके अवगुणों को कभी
ना छिपाना , सुख दुःख सबमे परछाई की तरह खड़े रहना यही तो है दोस्ती | तो अब देखिये
की जीवन का हर रिश्ता यहीं कहीं किसी दोस्ती से ही तो शुरू हुआ ना ? अंग्रेजी में
एक मशहूर कथन है – “A friend is one
who knows the song of your heart and can sing it back whenever you have
forgotten the words”.
तो किसी एक दिन नहीं
हर दिन अपने दोस्तों के संग मनाईये हैप्पी वाला फ्रेंडशिप डे|
- आँचल प्रवीण
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