मार्च आते ही महिला
दिवस का फोफा शुरू हो जाता है | महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के गुणगान व तमाम तरह
से इनकी तारीफों के पुल बाँधने का सिलसिला शुरू हो जाता है | अपने इर्द गिर्द की
वो सभी महिलायें जो आम दिनों में पैरों की जूती बनी रहती हैं या व्यर्थ की श्रेणी
में गिनी जाती है‚ मार्च आते ही
उन्हें सर आँखों पर बैठा लिया जाता है | और हो भी क्यों न ‚ आखिर बात अंतर
राष्ट्रिय महिला दिवस की बात जो है | जनाब महिलाओं को इज्ज़त दीजिये और भरपूर फुटेज
लीजिये|
और लीजिये मार्च की 8 तारिख आते ही जूनून चरम पर पहुच जाता है | फिर माय चॉइस‚
माय लाइफ ‚ माय रूल्स और तमाम सशक्तिकरण के जुमले वीमेनहुड को दर्शाने वाले तमाम
सेलेब्रेशंस रातों रात सबकी जुबां पर चढ़ जाते हैं | सोशल मीडिया हो या अखबार सब
इसी कलेवर में सजे हुए नज़र आते हैं|
हर जगह पावरफुल महिलाओं में दीपिका पादुकोण ‚ स्मृति ईरानी ‚ इंदिरा नूयी ‚
सुष्मिता सेन ‚ सुषमा स्वराज आदि के चेहरे दिखाई दे जाते हैं | पर जनाब इसके इतर
भी एक दुनिया है | आपके आसपास भी ऐसी कई पावरफुल लेडीज हैं जो घर से बाहर तक के
सारे काम चुटकियों में निपटा कर चेहरे पर एक लम्बी मुस्कान लिए रहती है |`इनके पास
दस हाथ तो नहीं लेकिन दस हाथों की ताकत जरुर है | सुबह से उठकर घर के काम बच्चों
की ज़िम्मेदारी ऑफिस का स्ट्रेस वर्क प्रेशर सोशल लाइफ सबकुछ एक साथ संभालना इनके
बांये हाथ का खेल है |
इन्हें ढूँढने हमे सात समुन्दर पार नहीं जाना पड़ेगा | ये शायद हमारे पड़ोस की
भाभी या आंटी होगी| हमारी माँ या मासी या बुआ| ये हमारी पत्नी या बहन भी हो सकती
है | दफ्तर में हमारे साथ कम करने वाली वो लडकी जो सबसे बेहतरीन प्रेजेंटेशन देती
है ‚ वो भी तो हो सकती है | ये हमारे गाँव की सरपंच भी हो सकती है | उस लड़की को
जिसे हमने ऑटो चलते हुए देखा था ‚ या वो जो पेट्रोल पंप पे काम करती है | ये सभी
सुपर वीमेन हैं| अफ़सोस ये है की इन्हें हम पहचान नहीं पाते | इनके लिए कोई विमेंस
डे नहीं मनाया जाता|
क्यों न इस विमेंस डे हम अपने आसपास की ऐसी ही महिलाओं को ढूंढें और उन्हें
महिला दिवस का सलाम दे |
आँचल “प्रवीण”
श्रीवास्तव
No comments:
Post a Comment