क्योंकि बात चल रही
है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की और हर जगह महिलाओं से सम्बंधित लेखों‚ गीतों‚ ऑडियो ‚ विडियो की भरमार है | महिला
जागरूकता व सशक्तिकरण के मुद्दों का बोलबाला है | इसी विषय पर आइये आज हम आपको
भारतीय संविधान में महिलाओं को मिले कुछ मौलिक अधिकारों के विषय में बताते हैं |
क्योंकि आज के समय में महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ रही है तो ये जरूरी
है उन्हें अपने मूल अधिकारों के विषय में जानकारी हो ताकि किसी भी समय और किसी भी
जगह पर उनके साथ किसी भी तरह से भेदभाव न हो |
कई एक्सपर्ट्स से बातचीत करने के बाद और गहन शोध के बाद हमने आपके लिए कुछ ऐसे
मौलिक अधिकारों की एक सूचि बनाई है जिसकी जानकारी होना आपके लिए आवश्यक है |
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पिता की सम्पत्ति पर
अधिकार- लडकी का अपने पिता की सम्पत्ति पर उतना ही अधिकार है जितना की लडके का और
माँ का |यह अधिकार शादी के बाद भी कायम रहता है |
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पति से जुड़े अधिकार-
शादी के बाद पत्नी का पति की संपत्ति पर मालिकाना अधिकार तो नहीं लेकिन संविधान के
अनुसार पत्नी पति से भरण पोषण और गुज़ारा भत्ता की हकदार है | वैवाहिक विवादों से
सम्बन्धित मामलों में कई क़ानूनी विधानों से गुज़ारा भत्ता मिलने का प्रायोजन है |
सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अनबन के मामलों में पत्नी बच्चों समेत अपना गुज़ारा
भत्ता मांगने का अधिकार रखती है |
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कोई भी महिला अपने
हिस्से में आई पैत्रक सम्पत्ति को किसी भी समय बेच सकती है जिसमे कोई भी दखल नहीं
दे सकता | वह इसकी वसीयत भी करा सकती है और जब चाहे इससे अपनी सन्तान को भी बेदखल
क्र सकती है |
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डोमेस्टिक वायलेंस
एक्ट – इस एक्ट का प्रावधान महिलाओं को घरेलु हिंसा से आजादी दिलाने के लिए किया
गया है | किसी भी तरह की भावात्मक ‚मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना या उत्पीड़न ‚ किसी
भी डोमेस्टिक रिलेटिव द्वारा इस दायरे में आता है | महिला को खर्च न देना ‚ उसकी
सैलरी ले लेना ‚ उसके दस्तावेजों को कब्जे में लेना ‚ शारीरिक का मानसिक उत्पीड़न
करना घरेलु हिंसा में शामिल है |
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डीवी एक्ट की धारा
१२ के तहत महिला किसी भी मेट्रोपोलिटन कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकती है |डीवी
एक्ट ३१ के तहत प्रतिवादी पर केस बनता है | दोषी पाए जाने पर गैर ज़मानती केस होता
है जिसमे १ साल की जेल और २० हजार तक का जुर्माना भी हो सकता है |
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लिव इन रिलेशन में
रहने वाले जोड़े भी डीवी एक्ट के अंतर्गत आ सकते है | इसके लिए कुछ विशेष नियम है |
इसमें राईट तो शेल्टर मिलता है लेकिन रिश्ता खत्म होने पर ये भी खत्म हो जाता है|
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आईपीसी की धारा ३७५
के तहत रेप या किसी भी प्रकार के यौन शोषण पर सख्त कानून बनाये गये है | बलात्कार
के उन मामलों में जिनमे महिला की मृत्यु हो जाये या वह कोमा में चली जाए तो उम्र
कैद या फांसी की सज़ा तय की गयी है |
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वर्कप्लेस पर भी
महिलाओं को तमाम अधिकार मिले हैं |
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इसके अलावा अनुच्छेद
४२ के तहत मैटरनिटी लीव का प्रावधान है |
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साथ ही अबोर्शन
करवाने में महिला की सहमति को कोर्ट से मान्यता दी गयी है | इसके अतिरिक्त दहेज़
सम्बन्धी प्रताड़ना में ३ साल से 7 साल तक की कैद का प्रावधान है |
इनके अलावा भी है ध्यान देने वाली बातें :-
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एक महिला की तलाशी
केवल महिला पुलिसकर्मी ही ले सकती है |
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महिलाओं को
सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले हिरासत में नहीं लिया जा सकता |
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गिरफ्तार महिला के
सम्बन्धी को सूचना देना पुलिस की ज़िम्मेदारी है|
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यदि लॉकअप में रखने
की नौबत आये तो महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए|
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महिलाओं को मुफ्त
क़ानूनी सलाह देने का प्रावधान है |
इनके अलावा भी महिलाओं को तमाम तरीके की सहूलियतें और अधिकार प्राप्त हैं
जिनकी जानकारी होना उनके लिए अति आवश्यक है | इस जानकारी के आभाव में कई बार उनके
साथ पक्षपात होता है | ऐसे में महिलाओं को चाहिए की वे सभी मामलों में क़ानूनी
रियायतों को जानें और उनका प्रयोग करें|
आँचल “प्रवीण”
श्रीवास्तव
सहायक प्रोफेसर‚
पत्रकारिता एवं जनसंचार
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