इश्क ‚मोहब्बत और प्यार का हफ्ता चल रहा है | जहाँ
देखो वहां फिजाओं में इश्क का ही दौर है | कोई ऐसे तो कोई वैसे सब बस प्यार बांटने
में व्यस्त हैं | अगर हम बात करें अदब के शहर लखनऊ की तो जैसा की इस शहर के बारे
में कहा गया है कि यहाँ दिलों में प्यार है जहाँ नज़र घुमाइए बहार ही बहार है‚ ये लखनऊ की सरज़मीं ये लखनऊ की सरजमीं | यहाँ
के लोगों का ये मानना है की प्यार को जताने के लिए उसका इज़हार करने के लिए या उसके
लिए कुछ भी कर गुराज्रने के लिए उन्हें किसी एक दिन या एक हफ्ते की ज़रूरत नहीं| ये
वो इशकजादे हैं जो मोहब्बत के गुलिस्तान को हमेशा तरोताज़ा रखते हैं | इनके लिए
प्यार के मायने कहीं न कहीं संस्कारों से जुड़े है | इश्क चाहे महबूबा से हो ‚
परिवार से हो या सरज़मीं से ही क्यों न हो ये कहीं भी पीछे नहीं हटते|
अब अपनी फिल्मों को
ही ले लीजिये चाहे वो मैं मेरी पत्नी और वो के मिथिलेश हों या इशकजादे की जोया
कुरैशी बुलेट राजा के राजा भैया हो या तनु वेड्स मनु के मनु शर्मा और हाँ दावते
इश्क में एक पागल आशिक की भूमिका निभाने वाले तारिक सब ही लखनऊ की इश्क नवाजी को
बखूबी बयां करते हैं | वतन से इश्कपरस्ती निभाने वाले हमारे अपने कैप्टन मनोज
पाण्डेय और न जाने कितने ही और | सभी किसी न किसी तरीके से मोहब्बत को दर्शाते
हैं|
यहाँ की गंगा ज़मुनी
तहज़ीब प्यार में किसी भी तरह की दीवार का सामना करने से नहीं घबराती | धर्म‚ जाति‚
रंग ‚ रूप किसी भी तरह की अड़चन इनके प्यार को कमजोर नहीं कर सकती| अपने प्यार को
मुकाम तक पहुचाने वाली रुचिका बताती है की जिस लड़के से उन्हें प्यार था वो कुंडली
से मंगल दोष युक्त था | तमाम पंडित ओझा के चक्कर काटने के बाद जब उन्हें कोई चारा
नहीं मिला अपने घर वालों को समझाने का तब उन्होंने ने इन्टरनेट का सहारा लेकर कई
दिनों तक इसपर शोध किया |उनके इस रस्ते में कई रुकवटे आई पर वो डटी रही और
बमुश्किल उन्होंने इस अन्धविश्वास पर जीत हासिल कर अपने परिवार को अपने साथ किया |
आज उनकी शादी को दो साल हो रहे है और वे दोनों और उनके परिवार सब स्वस्थ और सुखी
हैं | ऐसे जीता उन्होंने अपने प्यार को अंधविश्वास की लड़ाई में|
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