बेटी बचाओ बेटी पढाओ
का नारा लेकर हमारे प्रधान मंत्री जी ने लोगों के दिमाग में इस सोच का बीज जरुर
डाला है की बेटियों को आगे बढ़ा कर ही भारत में तरक्की को सही आयाम या दिशा दी जा
सकती है | हमारे यहाँ पुराणों में कहते हैं यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ति तत्र
देवता यानी जिस जगह स्त्री की पूजा होती है उसका सम्मान होता है वहां देवता निवास
करते हैं | स्त्री को हमारी सभ्यता में गृह लक्ष्मी की उपमा दी गयी है |
प्राचीन काल से ही
स्त्री की शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है | चाहे वो सीता हो या गार्गी सभी
शास्त्रार्थ में माहिर थी |विद्योत्मा जैसी विदुषी नारी का उदाहरण आज भी दिया जाता
है |उन्हें कई विशेषाधिकार भी प्राप्त थे| अपने लिए वर का चुनाव वे उसकी विद्वता
और शौर्य व् पराक्रम के बल पर स्वयम करती थी जिसे स्वयम्वरकहते हैं| परन्तु
मध्यकाल में भारत में स्त्रियों की दशा में काफी गिरावट आई | उसे पर्दे के पीछे
रहने पर विवश किया गया | सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं का चलन बढने लगा |
फिर धीरे धीरे बच्चियों को बोझ समझा जाने लगा और कोख में ही उन्हें खत्म क्र देने
का रिवाज़ हो गया |
सरकार और समाज
सुधारकों के तमाम प्रयासों के बाद इस पर दंड का प्रावधान किया गया जिससे कि इस समस्या का जड़ से निदान
हो| किन्तु लडकियों को आगे न बढ़ने देने की सोच ने देश की विकास में बहुत हानि
पहुचाई है |
कहते हैं स्त्री-पुरुष जीवन-रूपी रथ के दो
पहिये हैं, इसलिए पुरुष के साथ
साथ स्त्री का भी शिक्षित होना उतना ही जरुरी है| यदि माता सुशिक्षित होगी तो
उसकी संतान भी सुशील और शिक्षित होगी । शिक्षित गृहणी पति के कार्यों में हाथ
बंटा सकती है, परिवार
को सुचारु रूप से चला सकती है । स्त्री-शिक्षा प्रसार होने से नारी आर्थिक
दृष्टि से आत्मनिर्भर
बनेगी। अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों के प्रति सचेत होगी ।
आज सरकार बेटी को बचाने और बेटी को पढ़ाने की
अनोखी मुहीम पर है | कई वजहें हैं जिन कारणों से लडकियाँ अपनी शिक्षा को आगे नहीं
बढ़ा पाती | इनमे से स्वास्थ्य और शौचालय बड़ी वजहें हैं | भारत सरकार ने गाँवों और
दूर दराज के इलाकों में शौचालय का उत्तम प्रबंध करने का बिल दिया है जिससे इन्हें
मासिक धर्म के कारण शिक्षा में आने वाली रुकावटों से छुट्टी मिलेगी |
मुफ्त शिक्षा‚
स्कालरशिप और कन्या विद्या धन जैसी कई नयी स्कीम हैं जो
भारत सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढाओ की मुहीम को सफल बनती हैं| लड़कियों का पढ़ना एक
नहीं दो परिवारों को लाभप्रद होगा | विश्व के किसी भी कोने में किसी भी कार्य में
महिलायें कहीं भी पुरुषों से पीछे नहीं है और इसीलिए स्त्री को समान शिक्षा का
पूर्ण अधिकार है | लड़कियों की शिक्षा का प्रण लेते हुए इसी बढ़ते भारत को मेरी ओर
से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ| क्योंकि अगर पढेगी लडकी तभी
तो बढ़ेगा भारत|
आँचल “प्रवीण”श्रीवास्तव
सहायक प्रोफेसर‚ पत्रकारिता एवं जनसंचार
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