Monday, 24 March 2014

डेफिनिशन ऑफ़ अ गुड गर्ल


आज अचानक कुछ कारण से ऑफिस तक का सफ़र बस से करना पड़ा।  अब इसे सौभाग्य कहे या दुर्भाग्य पर आज  ये यात्रा कई चीज़ो पर से पर्दा उठा गयी। सुबह जब आपका काम अपने स्वाभाविक तरीके से न हो और समय अपनी गति से तेज़ चलने लगे तो वैसे भी दिमाग का दही होने लगता है। बस ऐसे ही कुछ मूड से जब आज घर निकली और बस में बैठी दो ठो आंटीज ने और चार चाँद लगा दिए। जाने किसकी बात करते हुए उनमे से एक बोली अरे नहीं मीता कि लड़की अच्छी नहीं है। मैंने सोचा अच्छी नहीं है मतलब क्या उसके सर पर सींगे निकली हुई हैं या उसके चार छ: हाथ पैर है ? कुछ समझ पाती तब तक दूसरी बोली हाँ सुना तो है दिन भर फोन पर बात करती रहती है और शादी भी तो नही हो रही उसकी 23 साल की , कुछ मामला होगा और क्या। पहले कि लड़किया होती थी एकदम संस्कारी आज तो पता नहीं कैसी हवा चल गयी है सब के हाव भाव ही बदल गये है। मेरा तो दिमाग गर्मी में और गरम हो गया। आखिर हमारे समाज के ये सो कॉल्ड लोगों को प्रोबलम क्या है? जितना कुछ आजतक मैंने जाना समझा है हमारे आसपास के लोग कुछ इस तरह परिभाषित करते है एक "अच्छी " लड़की को। एक अच्छी लड़की वो है जो बचपन से ही क्यूट और सिंपल हो। एक अच्छी लड़की वो है जो जब थोड़ी बड़ी हो तो खुद को समेट के सम्भाल के चले। एक अच्छी लड़की वो है जो भाई और बाप के अलावा किसी लड़के को देखे तक नहीं। एक अच्छी लड़की वो है जो स्कूल में सिर्फ किताबों में रहे।  जुडो हॉकी या कोई ऐसा खेल खेलने के बारे में सोचे भी नही जिसमे उसे जादा दौड़ भाग करनी पड़ी।  अव्वल तो ये खेल कूद लड़कियो के लिए नही है इसलिए वो खेल के क्या करेगी ? एक अच्छी लड़की वो है तमीज से सलवार सूट पहने और अगर जीन्स पहने तो उसपर कोई लम्बा सा कुर्ता पहने वरना लोग सोचेगे कैसे कपडे पहनती है।  और भगवान् ना करे कही किसी दिन जीन्स के साथ शर्ट पहननी पड़ गयी तो उसपर दुपट्टा पहन कर चलना पड़ता है।  वो बाल कटवाने से पहले अपने सब घर वालो से बिल पास कराती है और फिर अड़ोस पड़ोस कि किसी दीदी भाभी के साथ जाकर बाल कटवाने के नाम पर कुछेक इंच छटवा कर वापस आ जाती है।  एक अच्छी लड़की वो है जो मोहल्ले के लगभग सभी घरों में होने वाली पूजा पाठ या शादी में सारे भजन बन्ना बन्नी सोहर गाती हो और साथ में ढोलक भी बजा लेती हो वो भी 4 अलग अलग तालों पर। घर के ए टू जेड सब काम में निपुण हो अच्छी लड़की कभी ऊंची आवाज़ में बात ना करती हो। अच्छी लड़की अपनी शादी के बारे में कभी बात नहीं करती हो इसलिए अपनी पसंद कि तो बात ही नहीं बनती।  जब उसकी शादी कि बात चल रही हो तो परदे के पीछे कड़ी होकर शर्माती हो । फिर घर के किसी कोने में जाकर थोड़े आंसू बहाती हो ।  एक अच्छी लड़की वो है जो पढ़ाई लिखाई नौकरी सब अपने घरवालो की इच्छा से करे , उसने इतनी पढ़ाई की  हो जितनी से वो अपने हक़ के लिए आवाज़ न उठा पाए। अगर किसी दिन वो घर के बहार लाल लिपस्टिक लगा के निकल जाए तो घर वापस आकर उसकी क्लास लगनी पक्की।  एक अच्छी लड़की फेसबुक का ज्यादा इस्तेमाल ना करे नहीं तो लड़के उसकी फ़ोटो निकाल कर किसी पोर्न में लगा देंगे। अच्छी लड़कियों को किसी रेस्टुरेंट किसी मॉल किसी पार्क में बिना किसी घर वाले के नहीं जाना चाहिए दोस्तों के साथ भी नहीं।  एक मिनट दोस्त उसके कौन हो ये उसके घर वाले बताएंगे जबतक उसकी शादी नहीं होगी और उसके बाद उसका पति बताएगा। और इन सब में से अगर एक भी चीज़ छूटी तो लड़की "अच्छी"लड़की के क्राइटेरिया से बहार।  कुल मिलकर एक अच्छी लड़की वो है जिसको अपने विचार रखने का सोचने का या बोलने का कोई हक़ नहीं है।  वाह क्या डेफिनिशन है। बेहतरीन !!!
बहुत गर्व है मुझे कि मैं जाहिल हूँ।

(लड़कों आप स्वयं को बहुत खुशनसीब न समझे और ना ही बहुत दीन कि आपके दर्द को भी तो कोई समझे। जल्दी ही समाज के ठेकदारों द्वारा बनायीं अच्छे लड़कों कि परिभाषा को अगले अंक में पेश करने कि कोशिश करूंगी। तब तक इन अच्छे लोगों पर मेरी रिसर्च जारी है। प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा… )

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