कभी आपको ऐसा लगा
जैसे कोई है जो आपका पीछा कर रहा है | कभी ऐसा जैसे बिस्तर के नीचे कोई तो है | किसी
के आसपास होने का एहसास होता है| तो यकीं मानिये ये वाकई में किसी का होना ही है |
किसी रोज़ कोई डरावनी कहानी सुनना या फिर कोई फिल्म देखना और फिर इस एहसास का और
गहरा जाना| यह बातें ऐसी ही हैं जैसे की हमने आजतक इश्वर को नहीं देखा पर उसका
होना हम मानते हैं ; उसकी मौजूदगी का एहसास हमें होता रहता है | और ऐसा ही होता है
नकारात्मक सत्ताओं के साथ|
क्या होती है ये नकारात्मक सत्ताएं-
हमारी पहचान हमारे शरीर से होती हैं और जब शरीर ही नहिं है तो मृतक आत्मा को देख पाना और पहचान
पाना मुश्किल होता हैं। भूत-प्रेतों को ऐसी
नकारात्मक सत्ताएं माना गया है, जो कुछ कारणों से पृथ्वी और दूसरे लोक बीच फँसी रहती हैं। इन्हे
बेचैन व चंचल माना गाया है, जो अपनी
अप्रत्याशित मौत के कारण अतृप्त हैं।
हर समय हो सकता है किसी के होने का एहसास
वैज्ञानिक तथ्यों के
आधार पर इसको इस तरह से समझ सकते हैं की आप लगातार कई दिनों तक कोई ऐसा काम करें
जो आपके रोज़मर्रा के ढर्रे से अलग हो तो यकीनन आपको सपने भी उसी तरह के आएँगे और
बुरी शक्तियों से मन के किसी कोने में हमारा डर उजागर होकर फ्रंट सीट पर आ जाएगा
और हर समय उसके होने का एहसास दिलाएगा|
दिमाग के तीन हिस्से होते हैं याददाश्त के कारक
हमारे दिमाग के तीन
हिस्से होते हैं – कॉन्शियस ; सब कॉन्शियस और अन कॉन्शियस और यही तीनो हिस्से हमे
कुछ भी याद रखने के ज़िम्मेदार होते हैं | तो हमें किसी भी घटना को देखने के बाद जो
कुछ भी महसूस होता है वो इन्ही तीनो हिस्सों के कारण| इस तरह के दिमागी फितूर को
दूर करने के लिए अपनी एटीएम शक्ति को मजबूत करना बेहद ज़रूरी है |
सच में होती हैं बुरी ताकतें
लेकिन मैं इस बात को
बिलकुल नहीं नकारती की दुनिया में बुरी शक्तियाँ नही होती | जिस तरह किसी भी
सर्किट को पूरा करने में बिजली के पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तारों का प्रयोग होता
है उसी तरह दुनिया को चलाने में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों ताकतें सक्रीय होती है |
और यदि पॉजिटिव शक्ति हमारा ईश्वर है तो नेगेटिव शक्ति को राक्षस हो सकता है |
लेकिन विज्ञान के पास न इसका कोई प्रूफ है और न कोई जवाब |
शोध साबित करते हैं इनका होना
२००७ में होर्वोर्ड
यूनिवर्सिटी के फिजिक्स के एक प्रोफेसर ने यह दावा किया है कि कुछ कण वास्तव में
कण नहीं होते हैं इन्हें अनपार्टिकल भी कहते हैं | ये पदार्थ कणों और उर्जा कणों
का मिला जुला रूप होते हैं | ये अनपार्टिकल एक जगह पर कई सारे हो सकते हैं | इनका
सम्पर्क पदार्थ यानि मेटर से बहुत कम होता है | इन्हें वैज्ञानिक ब्रम्हांड की कुछ
घटनाओं से जोड़कर डार्क मैटर का नाम देते हैं |
विज्ञान के पास नहीं है कोई जवाब
कुल मिलाकर मामला यह
है की वैज्ञानिक इन अनपार्टिकल तक पहुचने की दौड़ में तो हैं लेकिन अब तक उनके पास
इस विषय पर अधिक थ्योरी नही है | पर अगर आम आदमी की भाषा में समझे तो भूतों के
बारे में विज्ञान के पास अभी कोई जवाब नहीं | बेहतर होगा आप हनुमान चालीसा को याद
रखें | न जाने कब आपको किसी अनपार्टिकल का सामना करना पद जाए |
कोई आपको देख रहा है
यकीन मानिये ये लेख
लिखते समय मैंने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा क्योंकि मुझे मालूम है मेरे पीछे
से वो मुझे देख रहा है की मैं उसके बारे में ही कुछ लिख रही हूँ |
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