भारतीय फिल्मों ने हमेशा रिश्तों का कारोबार किया है | हमारे समाज में हर
रिश्ते का अपना एक अलग महत्व है | इस महत्व को हमारी सिनेमा के निर्माता
निर्देशकों ने खूब भुनाया | फिल्म चाहे किसी भी रिश्ते पर बनी हो उसका यूएसपी
हमेशा प्यार और सम्मान होता है | हमारे समाज में माता पिता को देव तुल्य स्थान
दिया गया है यानि की धरती पर यदि कोई भगवन है तो वो हैं हमारे माता पिता| अब इस
रिश्ते पर बनी फिल्मों को बाज़ार में बेचने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती
क्योंकि हर कोई इसे खुद से जुड़ा हुआ पाता है | तो इस फादर्स डे हम आपको बताते हैं
पिता और बच्चों के सम्बन्धों पर आधारित फिल्मों के बारे में –
बूढ़े पिता के संघर्ष की कहानी-
साल २०१५ में आई शुजीत सरकार की फिल्म पीकू ने बहुत कमाई की | विषय था बाप
बेटी का सम्बन्ध| फिल्म में अमिताभ एक ऐसे बूढ़े बाप बने हैं जो नौकरी से रिटायर्ड
हैं और बिमारियों से परेशान| ऐसे में दीपिका पादुकोण ने एक ऐसी बेटी का किरदार
निभाया है जो अपने पिता की बीमारी के साथ उनके बिगड़ते हुए मानसिक हालातों को अपने
करियर के साथ साथ सम्भालती है |
अपने बेटे के साथ अजीब बीमारी से लड़ते पिता की कहानी-
साल २००९ में अमिताभ ; अभिषेक और विद्या बालन अभिनीत फिल्म पा ने सिनेमा जगत
के कई रिकार्ड्स ध्वस्त किये जब प्रोजेरिया से पीड़ित बेटे का किरदार निभाया अमिताभ
बच्चन ने और उसके पिता का किरदार खुद उनके बेटे अभिषेक ने निभाया| एक बेहद मार्मिक
कहानी जो १३ साल के एक बीमार बच्चे की है जिसमे साहस और आत्मविश्वास कूट कूट कर
भरा है | आरबाल्कि ने इस फिल्म में पिता और पुत्र के एक अनोखे रिश्ते को दर्शाया
है जो एक दुसरे के बहुत अच्छे दोस्त है |
मानसिक रूप से विक्षिप्त पिता और बेटी की कहानी-
२००५ में आई अजय देवगन और सुष्मिता सेन अभिनीत फिल्म मैं ऐसा ही हूँ में अजय
एक मानसिक रोगी पिता हैं जो अपनी बेटी को अपनी कस्टडी में लेने के लिए जान लगा कर
लड़ता है और कोर्ट में साबित कर देता है की वो अपनी बेटी की ज़िम्मेदारी उठाने वाला
एक बेहतर पिता बन सकता है | फिल्म का गाना पापा मेरे पापा बहुत फेमस हुआ था |
बेटे की मौत के लिए न्याय मांगते पिता की कहानी-
२००५ में ही बनी फिल्म विरुद्ध में अमिताभ अपने बेटे जॉन अब्राहम की मौत के
लिए सिस्टम से लड़ जाने की कहानी है | अपने बेटे की हत्या को साबित करके उससे न्याय
दिलाने के लिए एक पिता ने किस तरह से संघर्ष किया और समाज के अमानवीय तत्वों से
लडाई की यह पूरी कहानी इसी के इर्द गिर्द नाचती है |
सिंगल फादर के तौर पर पिता की कहानी-
२००२ में आई फिल्म रिश्ते ने हालाँकि कुछ खास कारोबार नहीं किया लेकिन जब भी
बाप और बच्चों के रिश्तों पर बनी फिल्मों की बात अति है तो इसका नाम ज़रूर लिया जाता
है | किस तरह कठिनाईयों से जूझकर एक सिंगल फादर के तौर पर अपने बच्चे को अच्छी
परवरिश दी जाती है इस पर बनी इस फिल्म को एक विशेष दर्जे के लोगों ने काफी पसंद
किया |
और लम्बी है यह लिस्ट
यूँ तो ये सब कहने को फिल्मे हैं लेकिन कहीं न कहीं इन्होने एक पिता के संघर्षों
को और अपने बच्चों से उसके एक अनोखे रिश्ते की नब्ज़ को छुआ है | ये फेहरिस्त बहुत
लम्बी है जिसमे १९८३ में बनीं फिल्म मासूम ; २००२ में बनी पिता; १९८३ में बनी
अवतार; डिअर डैड ; उड़ान २०१०; १९९६ में बनी फिल्म ख़ामोशी; १९९९ में बनी फिल्म
सूर्यवंशम आदि भी हैं |
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