Tuesday, 31 May 2016

गो गोवा गॉन



सैर कर दुनिया की ग़ालिब जिंदगानी फिर कहाँ
जिंदगानी ग़र रही तो नौजवानी फिर कहाँ
आज आपको बताती हूँ देश के सबसे छोटे और एक खूबसूरत राज्य गोवा के बारे में | इससे पहले मैं आपको ये बात ज़रूर बता दूं की गोवा के बारे में मुझे बताने की आज क्या सूझी | अरे जनाब अभी कल ही गोवा को एक भारतीय रज्य बने हुए कुछ २९ साल हुए हैं |इसका मतलब यह हुआ की गोवा ३० मई को अपनी बर्थडे सेलिब्रेट करता है| ३० मई १९८७ को गोवा को एक भारतीय राज्य का दर्जा मिला था |
प्राकृतिक सुन्दरता का धनी
ये राज्य अपने आप में खूबसूरती को प्रकृति की एक मिसाल है | शोर शराबे और प्रदूषण से कहीं दूर प्रकृति की गोद में बसा गोवा सैलानियों के लिए स्वर्ग है | तो ऐसा करिए इस बार गर्मी की छुट्टियों में गोवा का आनंद ले आइये | पर इससे पहले इसके बारे में जानना भी ज़रूरी है | चलिए एक नज़र दौड़ाते हैं इसके इतिहास पर –
मौर्यंस भी कर चुके हैं शासन
गोवा के लंबे इतिहास की शुरुआत तीसरी सदी इसा पूर्व से होती है जब यहाँ मौर्य वंश  की स्थापना हुई थी। बाद में पहली सदी के सतवाहन लोगों ने इसपर अपना अधिपत्य जमाया | फिर बादामी के चालुक्य आये और ५८० से ७५० इसवी तक यहाँ शासन किया
 1312 इसवी में गोवा पहली बार दिल्ली सल्तनत के आधीन हुआ लेकिन उन्हें विजयनगर के शासक हरिहर प्रथम ने वहाँ से खदेड़ दिया गया और अगले सौ सालों तक गोवा पर राज किया| १४६९ में गुलबर्ग के बाहमी सुल्तान ने फिर इसे दिल्ली की सल्तनत का हिस्सा बनाया | बीजापुर के आदिल शाह भी कुछ सालों तक इस पर राज करके गये |
मसालों की खुशबू सूंघते पहुचे वास्को डे गामा
१४९८ में वास्को डे गामा घूमते घंटे पहुंचे गोवा के तटों पर और १५१० में स्थानीय मुगलों को यहाँ खदेड़ दिया | इसके काफी हिस्से पर कई वर्षो तक पुर्गालियों ने राज्य किया | यहाँ वे अपना एक आधार बनाना चाहते थे जहाँ से वे मसालों का व्यापार कर सकें। सोलहवीं सदी के मध्य तक पुर्तगालियों ने आज के गोवा क्षेत्र में पूरी तरह से अपना कब्जा कर लिया था |
३० मई को बन गया अपना राज्य
19 दिसंबर, 1961 को भारतीय सेना ने यहाँ आक्रमण कर इस क्षेत्र को मुक्त करवाया और गोवा भारत में शामिल हुआ। गोवा तथा इसके उपक्षेत्र दमन एवं दीव को भारत में संविधान के एक संघीय क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया। लेकिन 30 मई 1987 को गोवा को अलग राज्य का दर्जा दिया गया तब जाकर गोवा भारत का 26 वाँ राज्य बना।
महाभारत काल से है गोवा का उल्लेख
महाभारत में गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र यानि गाय चरानेवालों के देश के रूप में मिलता है। दक्षिण कोंकण क्षेत्र का उल्लेख गोवाराष्ट्र के रूप में पाया जाता है। संस्कृत के कुछ अन्य पुराने स्त्रोतों में गोवा को गोपकपुरी और गोपकपट्टन कहा गया है जिनका उल्लेख अन्य ग्रंथों के अलावा हरिवंशम और स्कंद पुराण में मिलता  है। गोवा को बाद में कहीं कहीं गोअंचल भी कहा गया है। अन्य नामों में गोवे, गोवापुरी, गोपकापाटन औरगोमंत प्रमुख हैं। जनश्रुति के अनुसार गोवा जिसमें कोंकण क्षेत्र भी शामिल है (और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक बताया जाता है) की रचना भगवान परशुराम ने की थी। कहा जाता है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणो की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था और लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि हैं। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।
काजू जाते हैं विदेशों तक
गोवा का प्रमुख उद्योग पर्यटन है। पर्यटन के आलावा गोवा में लौह खनिज भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो जापान तथा चीन जैसे देशों में निर्यात होता है। गोवा मतस्य (मछली) उद्योग के लिए भी जाना जाता है लेकिन यहाँ की मछली निर्यात नही की जाती बल्कि स्थानीय बाजारों में बेची जाती है। यहाँ का काजू सउदी अरब, ब्रिटेन तथा अन्य यूरोपीय राष्ट्रों को निर्यात होता है। गोवा के मनभावन बीच की लंबी कतार में पणजी से 16 किलोमीटर दूर कलंगुट बीच, उसके पास बागा बीच, पणजी बीच के निकट मीरामार बीच, जुआरी नदी के मुहाने पर दोनापाउला बीच स्थित है।यहाँ करीब ४९ के आसपास बीच हैं | इसकी दूसरी दिशा में कोलवा बीच ऐसे ही सागरतटों में से है जहां मानसून के वक्त आपको  जाना चाहिए। पणजी गोवा की राजधानी है। यहां के आधुनिक बाजार भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मांडवी नदी के तट पर बसे इस शहर में शाम के समय सैलानी रिवर क्रूज का आनन्द लेने पहुंचते हैं। मांडवी पर तैरते क्रूज पर संगीत एवं नृत्य के कार्यक्रम में गोवा की संस्कृति की एक झलक देखने को मिलती है।

सीफूड लवर्स की जन्नत है गोवा
और जनाब अगर आप है सीफ़ूड के शौक़ीन को गोवा स्वर्ग है आपके लिए | गोवा का प्रधान भोजन चावल, मछली करी के साथ है। गोवा में मछली से बने व्यंजन प्रसिद्ध हैं। गोवा में व्यापक रूप से नारियल और नारियल तेल, मिर्च, मसाले, खाद्य सिरका के साथ खाना पकाने में इस्तेमाल किये जाते हैं। गोवा में सबसे लोकप्रिय मादक पेय फेनी, काजू फेनी (जो काजू के पेड़ के फल के किण्वन से बनाया जाती है), नारियल फेनी है। यहाँ के भोजन में नॉनवेज शामिल है, पर इनके पकाने का तरीका कॉन्टिनेंटल होता है।
भई तो ज्यादा सोचने का नहीं बस बैग पैक करने का और गोवा घूम के आने का|

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