माँ,
तुम हमेशा कहती हो
कि मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं लिखती | इसकी उसकी दुनिया भर की बातें करती हूँ पर
तुम्हारे लिए कुछ नहीं लिखती | क्या करूँ माँ तुम्हारे लिए लिखते समय मेरा शब्दकोश
खाली सा लगता है | तुम जानती हो मैं कई घंटों से सोच रही हूँ , लिख रही हूँ , मिटा
रही हूँ पर समझ ही नही आता कि किन शब्दों का इस्तेमाल करके तुम्हारे बारे में
लिखना शुरू करू| मुझे यकीन है मेरी कोशिश कामयाब तो नहीं होगी |
मुझे ठीक से याद तो
नहीं पर जब आँखे खोली होंगी तो पहली बार मैंने तुमको ही देखा होगा | वैसे तो मैं
तुमको यहाँ आने से पहले से ही जानती हूँ| तुम्हारी सांस से साँस ली है मैंने , तुम्हारे कौर से अपना पेट भरा है
, तुम्हारे पानी के घूँट से अपनी प्यास बुझाई है | और फिर बाहर सबसे पहले तुम ही
मिली मुझे | वो पहली और आखिरी बार था जब मेरे रोने पर तुम मुस्कुरा रही थी | उसके
बाद से आजतक तो मेरी एक खरोंच पर भी तुम्हारी आँखों में आंसू देखे हैं मैंने | जब
पहली बार पापा ने गोद लिया तो मैं डर गयी कि कोई मुझको तुमसे दूर ले जा रहा है |
पर तुमने बताया की वो मेरे पापा है | यकीन मानो माँ आज तक उस दिन वाला डर है की
कहीं कोई मुझको तुमसे अलग न करदे |
तुमने मुझको ऊँगली
पकड़ कर चलना सिखाया | अक्षर सिखाये , रंग बताये , आकार समझाए , मुझे दुनियादारी
समझाई , अँधेरों में मेरा हाथ थामा, कठिनाईयों में मेरा हौसला बढाया , मुझपर हर
क्षण विश्वास किया तब भी जब किसी ने न किया था | मेरी कमजोरी में मुझे सहारा दिया
| माँ! तुम इतनी हिम्मत कहाँ से लाती हो ? खुद टूट कर तुमने मुझको जोड़ा है | इतना
प्यार कैसे समा गया तुम्हारे अंदर | तुम इतनी कोमल दिखती हो पर मुश्किलों के सामने
मैंने तुमको वज्र सा कठोर देखा है | तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत मैंने जीवन में नहीं
देखी |
मैंने तुमको जीवन के
दोनों छोर पर अटल और स्थिर देखा है | जैसे सूरज उदय और अस्त के समय एक सा होता है
माँ वैसे ही मैंने तुमको दुःख और सुख दोनों में ही हमेशा शांत और धीर देखा है |
तुम्हारा अंश होते हुए भी मुझमे ये खूबियाँ ना आ पायीं | मैंने तुमको कई बार गहरी
चोट पहुचाई | बचपन में दूध पिटे समय तुमको काट लिया , कभी तुम्हारे बाल नोचे कभी
तुम्हारे दांत काटा| ये तो तब जब छोटी थी | बड़ी हुई तो तुम पर रौब दिखाया ,
तुम्हारी बातें न मानी तुमको पुराने ज़माने की समझ कर किनारे कर दिया , तुमसे झगड़े
किये , तुमको गलत साबित करने की कोशिश की | बड़ी हो गयी थी न जादा अकलमंद या शायद
बेवकूफ जो तुमको समझ नही पाई | माफ़ी मांगने के लिये फिर से शब्द नही मिल रहे | पर
माँ ये मेरी गलतियां माफ़ करने की ताकत तुममे है | मेरे दर्द को समझने की क्षमता है
तुममे पर मैं हार जाती हूँ तुम्हारा दर्द समझ पाने में | तुमको नही पता मैं
तुम्हारी चिंता करती हूँ पर दिखा नही पाती कह नही पाती | सोचती हूँ कभी तुम न हुई
तो मेरी परवाह कौन करेगा माँ| मेरी चिंता कौन करेगा | मुझे कोई नही पूछेगा की खाना
खाया की नही | बारिश में मत भीगो बीमार हो जाओगी| गाड़ी में तेज़ मत चलाना वगैरह वगैरह
|
माँ मैं तुमसे माफ़ी
मांगती हूँ मेरी गलतियों की मेरी कमियों की | बस माँ हमेशा की तरह मेरे साथ रहना
चाहे दुनिया इधर से उधर हो जाए | तुम्ही मेरी ताकत हो और मेरी कमजोरी भी माँ |
तुम्हारे बिना में टूट जाउंगी | तुम्हारी मुस्कान मुझे ताकत देती है | तुम हमेशा
मुस्कुराती रहना |
तुमको मदर्स डे की
ढेरों शुभकामनायें|
तुम्हारी बेटी|
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