Sunday, 8 May 2016

एक पाती माँ के नाम



माँ,
तुम हमेशा कहती हो कि मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं लिखती | इसकी उसकी दुनिया भर की बातें करती हूँ पर तुम्हारे लिए कुछ नहीं लिखती | क्या करूँ माँ तुम्हारे लिए लिखते समय मेरा शब्दकोश खाली सा लगता है | तुम जानती हो मैं कई घंटों से सोच रही हूँ , लिख रही हूँ , मिटा रही हूँ पर समझ ही नही आता कि किन शब्दों का इस्तेमाल करके तुम्हारे बारे में लिखना शुरू करू| मुझे यकीन है मेरी कोशिश कामयाब तो नहीं होगी | 

मुझे ठीक से याद तो नहीं पर जब आँखे खोली होंगी तो पहली बार मैंने तुमको ही देखा होगा | वैसे तो मैं तुमको यहाँ आने से पहले से ही जानती हूँ| तुम्हारी सांस से साँस  ली है मैंने , तुम्हारे कौर से अपना पेट भरा है , तुम्हारे पानी के घूँट से अपनी प्यास बुझाई है | और फिर बाहर सबसे पहले तुम ही मिली मुझे | वो पहली और आखिरी बार था जब मेरे रोने पर तुम मुस्कुरा रही थी | उसके बाद से आजतक तो मेरी एक खरोंच पर भी तुम्हारी आँखों में आंसू देखे हैं मैंने | जब पहली बार पापा ने गोद लिया तो मैं डर गयी कि कोई मुझको तुमसे दूर ले जा रहा है | पर तुमने बताया की वो मेरे पापा है | यकीन मानो माँ आज तक उस दिन वाला डर है की कहीं कोई मुझको तुमसे अलग न करदे |
तुमने मुझको ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया | अक्षर सिखाये , रंग बताये , आकार समझाए , मुझे दुनियादारी समझाई , अँधेरों में मेरा हाथ थामा, कठिनाईयों में मेरा हौसला बढाया , मुझपर हर क्षण विश्वास किया तब भी जब किसी ने न किया था | मेरी कमजोरी में मुझे सहारा दिया | माँ! तुम इतनी हिम्मत कहाँ से लाती हो ? खुद टूट कर तुमने मुझको जोड़ा है | इतना प्यार कैसे समा गया तुम्हारे अंदर | तुम इतनी कोमल दिखती हो पर मुश्किलों के सामने मैंने तुमको वज्र सा कठोर देखा है | तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत मैंने जीवन में नहीं देखी | 

मैंने तुमको जीवन के दोनों छोर पर अटल और स्थिर देखा है | जैसे सूरज उदय और अस्त के समय एक सा होता है माँ वैसे ही मैंने तुमको दुःख और सुख दोनों में ही हमेशा शांत और धीर देखा है | तुम्हारा अंश होते हुए भी मुझमे ये खूबियाँ ना आ पायीं | मैंने तुमको कई बार गहरी चोट पहुचाई | बचपन में दूध पिटे समय तुमको काट लिया , कभी तुम्हारे बाल नोचे कभी तुम्हारे दांत काटा| ये तो तब जब छोटी थी | बड़ी हुई तो तुम पर रौब दिखाया , तुम्हारी बातें न मानी तुमको पुराने ज़माने की समझ कर किनारे कर दिया , तुमसे झगड़े किये , तुमको गलत साबित करने की कोशिश की | बड़ी हो गयी थी न जादा अकलमंद या शायद बेवकूफ जो तुमको समझ नही पाई | माफ़ी मांगने के लिये फिर से शब्द नही मिल रहे | पर माँ ये मेरी गलतियां माफ़ करने की ताकत तुममे है | मेरे दर्द को समझने की क्षमता है तुममे पर मैं हार जाती हूँ तुम्हारा दर्द समझ पाने में | तुमको नही पता मैं तुम्हारी चिंता करती हूँ पर दिखा नही पाती कह नही पाती | सोचती हूँ कभी तुम न हुई तो मेरी परवाह कौन करेगा माँ| मेरी चिंता कौन करेगा | मुझे कोई नही पूछेगा की खाना खाया की नही | बारिश में मत भीगो बीमार हो जाओगी| गाड़ी में तेज़ मत चलाना वगैरह वगैरह |
माँ मैं तुमसे माफ़ी मांगती हूँ मेरी गलतियों की मेरी कमियों की | बस माँ हमेशा की तरह मेरे साथ रहना चाहे दुनिया इधर से उधर हो जाए | तुम्ही मेरी ताकत हो और मेरी कमजोरी भी माँ | तुम्हारे बिना में टूट जाउंगी | तुम्हारी मुस्कान मुझे ताकत देती है | तुम हमेशा मुस्कुराती रहना |
तुमको मदर्स डे की ढेरों शुभकामनायें|

तुम्हारी बेटी|

No comments:

Post a Comment