Monday, 15 August 2016

युवा भारत के सत्तर वसंत!! जन्मदिन शुभ हो!!



भारत को आजाद हुए सात दशक बीत गये| इसे जन्मदिन ही मानिये क्योंकि इस दिन नये और आजाद

भारत ने जन्म लिया| आधी रात की काली छाया को छोड़ कर आशा और विश्वास की किरण लिए एक

नया सवेरा हुआ| इस भरोसे के साथ कि अब देश की प्रगति के दिन आयेंगे| बहुत हुई गुलामी अब राज

करने के दिन है | गाँव ,शहर , देश हवा पानी बादल आसमान खेत खलिहान सब अपने | कहीं जाने पर

किसी की जी हुजूरी करने की ज़रूरत नहीं| अब अपने तरीके से जीने का वक़्त था| पर ज़रा मुश्किल थी

डगर पनघट की |

नई सरकार बनी नई नीतियाँ तय हुई पर गुलामी के २०० सालों की छाप युहीं २ दिनों में हटा पाना ज़रा

मुश्किल था | देश में हालात ठीक नहीं थे | हमारा सारा खज़ाना बाहरी लुटेरे ले जा चुके थे और हम

भुखमरी की अवस्था में मन्दिर की सीढी पर पड़े उस आदमी की तरह हो गये थे जो हर राहगीर को

उम्मीद भरी नजरों से तकता है| फिर ऐसे में एक नये नवेले देश पर आक्रमणों का सिलसिला शुरू हुआ

और बदस्तूर जारी भी रहा|

अँगरेज़ थे तो शोषण तो था पर रक्षा भी थी | बस कहते हैं न कभी किसी को मुक्कम्मल जहाँ नहीं

मिलता| हालात बद से बदत्तर होते जा रहे थे| फिर बड़े बुजुर्गों ने कमान संभाली और देश को अपने

अनुभवी हाथों में लिया| लोकतंत्र की नीव डाली और उसे एक असाधारण तरह से आगे बढ़ाया| विदेश

नीतियों को लचीला बनाया; सुरक्षा पर विशेष तौर पर काम किया गया; धीरे धीरे वैश्वीकरण की राह पर

चले| देश जवान था और इस जवानी के चालक तजुर्बेदार| बेशक देश सभी मील के पत्थरों को बिना

किसी रुकावट के पार करता जा रहा था; पर कोई भी सफलता तब तक अधूरी रहती है जबतक उसमे

कुछ विघ्न बढ़ाएं ना आयें|

देश के भीतर ही कई अराजक तत्वों ने सर उठाया और भारत माँ की इज्ज़त को बेज़ार करने में कोई

कसर नहीं छोड़ी| दंगे फसाद, धर्म के नाम पर आपसी लड़ाईयां, आतंकी हमले,

घुसपैठ ये तो मानव जनित बाधाएं थी| प्रकृति ने भी अपना रूप दिखाया| कभी बाढ़ कभी भूकम्प कभी

सूखा तो कभी भूस्खलन और न जाने क्या क्या| इस देश ने एकजुट होकर सबका सामना किया और

हिंदी फिल्मों की तरह हमेशा ही हैप्पी एंडिंग पर पहुंचा|

देश में आज भी कठिन हालात हैं| लोकतंत्र की गम्भीरता को आज हलके में ले लिया गया है | हर कोई

कानून को हाथ में लेने पर उतारू है| समाज में दो फाड़ हो गये हैं | पर कोई भी सही दिशा में जाता नहीं

दिखता| किसी के नाम पर किसी का शोषण, औरत आदमी बच्चे सबके साथ अमानवीय व्यव्हार | देश के

अपने लोगों का देश से पलायन और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का गैर ज़िम्मेदाराना रैवैया सब मिलकर

देश को वापस गुलामी के गर्त में धकेल सकता है और इस बार हम अपने ही लोगों और अपने ही

विकारों के गुलाम हो जाएँगे| यदि ऐसा हुआ तो लड़ाई कठिन होगी क्योंकि अपने और अपनों के विरुद्ध

लडाई बहुत मुश्किल होती है |

ऐसे में ज़रूरत है अपने मूल्यों को याद करने की | यह याद रखने की कि जैसे हमने हमेशा तूफानों से

किश्तियाँ निकाली हैं इस बार भी निकाल लेंगे| अपने अंदर के उन मूल्यों को वापस लाने की आवश्यकता

है जिन्हें हम बचपन में पढ़ा करते थे| दिल्ली दूर नहीं है| इस स्वाधीनता दिवस पर प्रण करें खुद से खुद

को जगाने की | अपने जंग लगे ज़मीर को साफ़ करके चमकाने की | हम ज़रूर होंगे कामयाब एक दिन|

कौन कहता है आसमान में सुराख हो नहीं सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों |

जय हिन्द जय भारत!!

THIS INDEPENDENCE DAY PAINT YOURSELF IN TRICOLOR



When it comes to country and its independence the population is usually very sensitive. Whether

it is India or any other country but when talking about India things are a bit more emotional and

touchy. Also this year is much special with the country completing 70 years of Independence. So

why not try a very different way of celebration. Let’s find out-

How about wearing tricolour?

Oh!! No no!! I am not asking you to wear the respected flag but we can try the auspicious three

colours of our flag. A handloom saree of vibrant saffron or an anarkali of pure white bliss or

jumpsuit of cool green colour. Similarly, you can get into tricolor mood by wearing tricolor

dupatta, accessories and earring.

Wanna eat tricolored delicacies?

Yup how about try colored halwa or three colored idlis or even burfis. Oh yum! I am already

having water in my mouth. And the best part is that we can make all these things in our kitchen.

Paint our nails in three colors-
You just need to have three colors of nail paint - white, green and orange. Create any design of

your choice on your finger nails and flaunt them. You can get the nail art done using three colors

from market too. Green eye shadow with white liner can add statement to your tirangi dress.

Painted nails? Now paint the sky-

You must be thinking how. No you don’t have to fly a jet plane which emits tri colored fumes.

Just go to market and buy kites. There is a tradition to fly kites on the occasion of the

Independence Day every year, so it would be a good idea to buy Tricolor kites available in the

market and enjoy flying kites with friends under the open sky.

Tri colored rangoli-

When we were kid we love to make rangolis at our school’s Independence Day function. Let’s

revive the memories of school time. What about making it at our home? You can decorate your

home entrance by making rangoli of various patterns just as make in Diwali with the help of

tricolor this Independence Day. Make sure nobody steps on it as it resembles the National Flag.

This way our tricolour will be a fashion statement and we will celebrate the day in our own style

statement.

Saturday, 6 August 2016

क्या दिखा रहा है बुद्धू बक्सा?



टीवी तो देखते ही होंगे आप? बेशक और इन्टरनेट का भी प्रयोग जानते होंगे? हां बिलकुल आखिर आप मुझे इन्टरनेट पर ही तो पढ़ पा रहे हैं | तो मुझे एक सवाल का जवाब देंगे? आज आपने कोई ऐसा विज्ञापन देखा टीवी पर जिसमे किसी भी मायने में एक लड़की या महिला न दिखी हो? मैंने तो नहीं देखा| टीवी पर चाहे विज्ञापन प्रेशर कुकर का हो या आदमियों की दाढ़ी बनाने वाली क्रीम का नारी तो सर्वत्र विद्यमान है| चलो प्रेशर कुकर तो ठीक पर दाढ़ी बनाने वाली क्रीम या आदमियों की अंडरवियर में औरत का क्या काम? उसे तो इन दोनों चीजों का कोई काम नहीं !!
औरत नहीं है ये हैं सेक्स ऑब्जेक्ट-
विज्ञापनों को अगर आप ध्यान से देखें तो आपको कई विज्ञापनों से यह स्पष्ट रूप से लगेगा कि इसमें सीधे सीधे स्त्री को सेक्स आब्जेक्ट के रूप में या उपभोग योग्या के रूप में पेश किया जा रहा है। कंडोम और कंट्रासेप्टिव पिल्स के विज्ञापनों को आप सपरिवार नहीं देख सकते, कंडोम के विज्ञापनों में जो बदलाव विगत डेढ़ दो दशक में आया है उससे समाज में तेजी से हुए बदलाव को महसूस किया जा सकता है।
इन्टरनेट पर और गरम है मामला-
छोड़िये टीवी को इन्टरनेट पर जब आप किसी भी साईट पर जाते होंगे तब तो आपको कोई न कोई देवी बिकिनी पहन कर अपने सुडौल शरीर का प्रदर्शन करती दिख ही जाती होंगी| कभी १४० किलो से ४० किलो तक जाती हुई या कभी घर बैठे लाखों कमाती हुई कमसिन सी काया वाली कोरियाई लडकी| कहीं पे लिखा होगा इंडियन लडकी ने घर बैठे कमाए लाखों रुपये आप भी कमाइए| वगैरह वगैरह| ये सच है या जालसाजी इसकी पड़ताल तो हम बाद में करेंगे लेकिन एक बात नही समझ आती की भई सुई से लेकर जहाज़ तक के सभी विज्ञापनों में ये सेक्सी लड़की का क्या काम?
संचार क्रांति में यह भी मिले है परिणाम-
संचार क्रांति के युग में जबसे से पत्रकारिता के विभिन्न आयामों ने अपना सर उठाया है तबसे विज्ञापन सैनिटरी पैड्स का हो या आफ्टर शेव जेल का हर जगह औरतों को ग्राहकों को आकर्षित करने की वस्तु बना दिया गया| जैसे आप किसी बड़ी कम्पनी में जाइये तो वहां रिसेप्शन पर वेलकम करने के लिए आपको एक बड़ी खूबसूरत सी कन्या मिलेगी और फिर वो अपनी मीठी बातों से आपको अपनी कम्पनी का ग्राहक बना लेगी | उसी तरह से यह विज्ञापनों की लडकियां आपको सम्मोहित करके प्रोडक्ट खरीदने पर मजबूर कर देती हैं| इसी तरह से औरतों का बाजारीकरण हुआ है | और फिर अपने फायदे के हिसाब से कंपनियां उन्हें अपनी मर्जी के मुताबिक प्रेजेंट करती हैं|
इस विषय पर क्या कहता है संविधान?
अक्तूबर 2012 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिला अशोभनीय चित्रण प्रतिबंध कानून 1986 में संशोधन को मंजूरी देकर विज्ञापन दाताओं की इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने का प्रयास किया था, लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम नजर नहीं आया | पहले यह कानून केवल प्रिंट मीडिया पर लागू होता था, लेकिन संशोधन के बाद इसका दायरा बढ़ा कर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, इंटरनेट, केबल टीवी, मोबाइल और मल्टीमीडिया को भी इसमें शामिल कर लिया गया | इस कानून के तहत महिलाओं को गलत तरीके से पेश करने का दोषी पाये जाने पर दो से तीन साल की कैद और 50 हजार से एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है | दोबारा इसी अपराध में लिप्त पाये जाने पर सात वर्ष की कैद और एक से पांच लाख रुपये तक जुर्माना अदा करना पड़ सकता है |
आंकड़ों की माने तो
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल के दौरान विज्ञापनों में महिलाओं के अभद्र चित्रण के संबंध में दर्ज करायी गयी शिकायतों की संख्या नौ से बढ़ कर 23 हो गयी है | वर्ष 2010-11 में जहां नौ शिकायतों में से केवल एक सही पायी गयी थी, वहीं 2012-13 में 23 में से 10 शिकायतें सही पायी गयीं | आंकड़ों की मानें तो विज्ञापनों एवं संदेशों में महिलाओं के अशोभनीय चित्रण को रोकने की सरकार की तमाम कोशिशें विफल नजर आती हैं | तमाम कोशिशों के बावजूद पिछले तीन साल के दौरान महिलाओं का ईल एवं अभद्र चित्रण करने और वयस्क सामग्री प्रकाशित, प्रसारित करने को लेकर सरकार ने कार्रवाई की, लेकिन यह प्रवृत्ति थमने की बजाय और बढ़ गयी |
मनोवैज्ञानिक अपील करते हैं विज्ञापन-
विज्ञापनों की सबसे बड़ी ताक़त उनकी अनुनयकारी शक्ति यानी अपील होती है, विज्ञापन कभी तार्किक तो कभी भावनात्मक अपील के ज़रिये दर्शक, पाठक या उपभोक्ता को प्रभावित करना चाहते हैं। विज्ञापन ऐसी युक्तियों, ऐसे संदेशों, ऐसे चित्रों, ऐसे संदेशों, ऐसे संकेतों का प्रयोग करते हैं जो सीधे उपभोक्ता के दिल पर चोट करें। विज्ञापन व्यक्ति के सपनों, आकांक्षाओं, कल्पनाओं, विचार, ज़रूरतों के अहसास, भावनाओं, मनोविकारों से खेलते हैं।

भारतीय कला के व्यापक इतिहास का द्योतक है नाट्य शास्त्र




गाना बजाना नाचना यह सब एक बड़ी ही प्राचीन कलाओं में से एक है| भारत जो हर प्रकार से कला और संस्कृति का धनी रहा है ;उसमे इन सभी कलाओं जैसे गीत; संगीत; वादन; नृत्य; चित्रकला; अभिनय आदि का एक प्राचीनतम ग्रन्थ है जिसे हम नाट्य शास्त्र के रूप में जानते हैं| इस ग्रन्थ के रचियता भरत मुनि थे जिनका जन्म ४०० ईसा पूर्व माना जाता है | नाट्यशास्त्र  नाट्य कला पर व्यापक ग्रंथ एवं टीका, जिसमें शास्त्रीय संस्कृत रंगमंच के सभी पहलुओं का वर्णन है। माना जाता है कि इसे भरत मुनि ने तीसरी शताब्दी से पहले लिखा था|
जीवन के चार लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक है-
इसके कई अध्यायों में नृत्य, संगीत, कविता एवं सामान्य सौंदर्यशास्त्र सहित नाटक की सभी भारतीय अवधारणाओं में समाहित हर प्रकार की कला पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया है। इसका बुनियादी महत्व भारतीय नाटक को जीवन के चार लक्ष्यों, धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष के प्रति जागरूक बनाने के माध्यम के रूप में इसका औचित्य सिद्ध करना है।
क्या है इसके उद्भव की कहानी?
कहते है कि त्रेता युग में लोग दु:, आपत्ति से पीड़ित हो रहे थे। इन्द्र की प्रार्थना पर ब्रह्मा ने चारों वर्णों और विशेष रूप से शूद्रों के मनोरंजन और अलौकिक आनंद के लिए 'नाट्यवेद' नामक पांचवें वेद का निर्माण किया। इस वेद का निर्माण ऋग्वेद में से पाठ्य वस्तु, सामवेद से गान, यजुर्वेद में से अभिनय और अथर्ववेद में से रस लेकर किया गया। भरतमुनि को उसका प्रयोग करने का कार्य सौंपा गया। भरतमुनि ने 'नाट्य शास्त्र' की रचना की और अपने पुत्रों को पढ़ाया। इससे कथा से यह ज्ञात होता है की भरत मुनि ही नाट्य शास्त्र के प्रवर्तक है|
क्या है इसका विभाजन?
नाट्य शास्त्र के 36 अध्याय हैं। इसमें कुल 4426 श्लोक और गद्यभाग हैं। नाट्यशास्त्र की आवृतियां निर्णय सागर प्रेस, चौखम्बा संस्कृत ग्रंथमाला द्वारा प्रकाशित हुई है। गुजराती के कवि नथुराम सुंदरजी की 'नाट्य शास्त्र' पुस्तक है, जिसमें नाट्य शास्त्र का सार दिया गया है।
ऐसा विवरण २००० वर्षों में नहीं हुआ
नाट्य शास्त्र में नाट्य शास्त्र से संबंधित सभी विषयों का आवश्यकतानुसार विस्तार के साथ अथवा संक्षेप में निरुपण किया गया है। विषयवस्तु, पात्र, प्रेक्षागृह, रस, वृति, अभिनय, भाषा, नृत्य, गीत, वाद्य, पात्रों के परिधान, प्रयोग के समय की जाने वाली धार्मिक क्रिया, नाटक के अलग अलग वर्ग, भाव, शैली, सूत्रधार, विदूषक, गणिका, गणिका, नायिका आदि पात्रों में किस प्रकार की कुशलता अपेक्षित है, आदि नाटक से संबंधित सभी वस्तुओं का विचार किया गया है। नाट्यशास्त्र ने जिस तरह से और जैसा निरुपण नाट्य स्वरुप का किया है ऐसा निरुपण पिछले 2000 वर्षों में किसी ने नहीं किया।
क्या होता है अभिनय?
आजकल ‘’अभिनय’’ का अर्थ ‘’एक्टिंग’’ से लिया जाता है | परन्तु नाट्यशास्त्र’’में अभिनय का अर्थ ‘’एक्टिंग’’ न होकर कुछ अलग है | नाट्यशास्त्र में ‘’अभिनय’’ शब्द का अर्थ बहुत व्यापक है | आजकल अभिनय नाटक का एक अंग मात्र होता है ,लेकिन नाट्य शास्त्र में नाट्य नामक  तत्व ,अभिनय का एक अंग हुआ करता था !’’अभिनय’’ के दायरे में गायन, वादन, नर्तन, मंच, शिल्प, काव्य, आध्यात्म, दर्शन, योग, मनोविज्ञान, प्रकृति आदि अनेक विषय आते हैं|
आज के समय में क्या है नाट्यशास्त्र का उपयोग-
भरत मुनि का नाट्य शास्त्र नाटक का अपने आप में एक पूर्णतःव्यवस्थित एवं व्यापक ग्रन्थ है,जिसमे हर अंग को बारीकी और विस्तार से समझाया गया है| यह ग्रन्थ न सिर्फ आज बल्कि हर युग में हर काल में प्रासंगिक रहेगा|संचार के क्षेत्र में विश्व स्तर पर पढ़ा जाने वाला साधारणीकरण का सिद्धांत भी इसी से उत्पन्न है| यह एक ऐसा शास्त्र है जो रंगमंच और अन्य कलाओं का एक प्रमुख स्तंभ है | यह एक ऐसा मार्ग है जो जीवन में नवीन कल्पनाओं को जन्म देने की रचनात्मक्ता देगा|