Saturday, 6 August 2016

बेमिसाल खूबसूरती और प्रकृति की देन है ये सेवेन सिस्टर्स




आजकल सेवेन सिस्टर्स के बारे में बड़ा हो हल्ला हो रहा है| कहीं पर एक मणिपुरी लडकी से उसकी नागरिकता का सुबूत माँगा गया तो ऐसा लगा मानो ये हिस्सा देश में हो ही नही| फिर चली सेवेन सिस्टर्स की लहर| हम में से आधी से अधिक जनता ये नहीं जानती की ये सेवेन सिस्टर्स क्या बला है| कोई जानता है तो वो भी यकीन से नहीं कह सकता की वो सही है या नहीं| चलिए डालते हैं एक नज़र-
क्या है सेवेन सिस्टर्स?
सेवेन सिस्टर्स पूर्वोत्तर भारत के सात आपस में सटे हुए राज्य हैं देश का सात प्रतिशत हिस्सा बनाते है | ये राज्य हैं अरुणाचल प्रदेश; असम; मेघालय; मणिपुर; मिज़ोरम; नागालैंड और त्रिपुरा| हालंकि इन राज्यों के संस्कृति और सम्पदा एक दुसरे से बिलकुल अलग हैं लेकिन राजनैतिक; समाजिक और आर्थिक तौर पर ये सभी एक ही प्रकार के हैं|
क्या है इन राज्यों की राजधानियां-
·         अरुणाचल प्रदेश ईटानगर
·         असम दिसपुर
·         मणिपुर इम्फाल
·         मेघालय शिलोंग
·         मिज़ोरम ऐजवाल
·         नागालैंड कोहिमा
·         त्रिपुरा अगरतला
क्या कहता है इतिहास-
१९४७ में जब भारत ब्रिटिश राज्य से मुक्त हुआ तो देश के पूर्वोत्तर में तीन ही बड़े राज्य थे- मणिपुर; त्रिपुरा और असम जिसकी राजधानी शिलोंग थी जो अब मेघालय की राजधानी है | बाद में इन्ही राज्यों से ४ राज्य और बने| १९६३ में नागालैंड उसके बाद १९७२ में मेघालय ; उसी वर्ष १९७२ में मिज़ोरम यूनियन टेरिटरी बना और अंत में १९८७ में अरुणाचल प्रदेश को प्रदेश का दर्जा मिला| इन राज्यों में बोडो; निशि; गारो; नागा और भूटिया के अलावा भी कई जन जातियां है |
जाना जाता है प्राकृतिक सम्पदा के लिए-
नार्थ ईस्ट के ये सात राज्य पूरी दुनिया में अपनी प्राकृतिक सम्पदा के लिए मशहूर हैं| प्राकृतिक संपदा तथा सांस्कृतिक वैभव का जैसा असीम भंडार यहॉं बिखरा पड़ा है, वैसा देश में ही नहीं, शायद पूरी दुनिया में अन्यत्र दुर्लभ है| यहॉं विभिन्न कुलों की अनगिनत भाषाएँ, अनगिनत लोग तथा अनगिनत संस्कृतियॉं ऐसा बहुरंगी रचना रचती हैं कि देखने समझने वाला मोहित रह जाता है| इस छोटे से क्षेत्र में २२० से अधिक नस्लों के लोग निवास करते हैं, और जितनी नस्ल, उतनी भाषाएँ और उतनी ही संस्कृतियॉं| प्रकृति ने तो मानो अपना पूरा खजाना ही यहॉं बिखेर दिया हो| अकेले इस क्षेत्र में ५१ प्रकार के वन और असंख्य प्रकार की पादप जातियॉं हैं|
पुराणों में भी है वर्णन
इस क्षेत्र का प्राचीन इतिहास रामायण एवं महाभारत काल से जुड़ा हैमहाभारत व रामायण में इस क्षेत्र के दो नाम मिलते हैं- प्राग्ज्योतिषपुर और कामरूप| प्राग्ज्योतिषपुर नरेश नरकासुर की कहानियॉं पुराणों में अति प्रसिद्ध हैं| इस असुर नरेश को कृष्ण ने युद्ध में मारा था और उसकी कैद से १६१०० राज कन्याओं को मुक्त कराया था| इस नरेश के बेटे भगदत्त ने महाभारत युद्ध में कौरवों के पक्ष में युद्ध किया था| असम का पहला ऐतिहासिक साम्राज्य 'कामरूप' के नाम से जाना जाता है| यह साम्राज्य ईसवी सन् ३५० से लेकर ११४० तक करीब ८०० वर्षों तक कायम रहा, जिसके दौरान तीन राजवंशों ने शासन किया|
आज भी है कामरूप यहाँ पर-
१०वीं शताब्दी में रचित माने जाने वाले कालिकापुराण में कामरूप की पूर्वी सीमा पर ताम्रेश्‍वरी देवी के मंदिर का जिक्र किया गया है | १२वीं शताब्दी के बाद इस साम्राज्य का तो अंत हो गया, लेकिन कामरूप राज्य बना रहा| १५वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में इस राज्य पर हमला करने वाले अलाउद्दीन हुसैन शाह के सिक्के पर 'कामरू' या 'कामरूद' नाम अंकित है| आज भी इस नाम का जिला (कामरूप) यहॉं विद्यमान है|

No comments:

Post a Comment