Saturday, 6 August 2016

इतनी असंवेदनशीलता क्यों?



हर रोज़ ही मैं ऑफिस से घर जाते वक़्त ये देखती हूँ की कोई न कोई एम्बुलेंस बीमारों को लिए हुए भीड़ से रास्ता पाने की जुगत में हॉर्न बजा रही है| अभी कल ही घर जाते वक्त मटियारी चौराहे पर लम्बा जाम था और उसमे एक एम्बुलेंस बड़ी तेज़ी से हॉर्न बजाती हुई इधर उधर से किनारा काटने की कोशिश कर रही थी | देखा तो अंदर कुछ २ ३ लोग खून से लथपथ बैठे थे और एक बेहोश था| दुःख की बात ये है की लोगों को खुद वहां से निकलने की बड़ी जल्दी थी|
दो पहिया वाहन भी नही देते जगह-
बाइक वाले लोग तो अपनी गाड़ी किनारे कर ही सकते हैं पर ये दो पहिये वाले लोग भी फंदा कर अपनी गाड़ी निकालने में लगे थे| मैं समझ नही पाती हूँ की समाज में इतनी असंवेदनशीलता कहाँ से आ गयी है ? आमतौर पर किसी सार्वजनिक समस्या को दूर करने या उसका हल निकालने में आम इंसान कोई दिलचस्पी नहीं दिखाता हैं। समस्या में फंसने के बाद लोग इसकी जिम्मेदारी सरकार या स्थानीय प्रशासन पर डालकर उसे कोसते हुए आगे निकल जाते हैं। वह उस दिशा में तबतक कुछ करना या सोचना नहीं चाहते जबतक कि व्यक्तिगत तौर पर उनका कोई नुकसान न हुआ हो। शायद, ‘मुझे क्या पड़ी हैकि बीमारी लोगों को ऐसे किसी पचड़े में पड़ने से रोकती होगी।
क्या कहते हैं एम्बुलेंस ड्राईवर-
एम्बुलेंस ड्राइवर की मनोदशा भी उस वक्त यही होती है कि वह उस वक्त सिर्फ एक वाहन चालक नहीं होता, बल्कि वह अपने हाथों में किसी के जीवन की नाज़ुक कमान संभाले लिये चल रहा होता है। उसके मन में एक ही बात होती होगी कि मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सके। एक एम्बुलेंस ड्राईवर से हुई बात में उसने कहा, "कभी-कभी हमें समझ ही नहीं आता कि गाड़ी कहां से निकाले। चारों तरफ जाम ही दिखता है। ट्रैफिक पुलिस तो हमारा बहुत साथ देती है। ज़रूरत पड़ने पर हमें रांग टर्न लेने की भी अनुमति होती है लेकिन सड़क पर चल रहे लोग हमारा साथ नहीं देते। सबको बस आगे जाने की ही जल्दी होती है।"
क्या होता है ग्रीन कॉरिडोर?
ग्रीन कोरिडोर शब्द का तब इस्तेमाल किया जाता है जबकि किसी आपातकाल की स्थिति में किसी मरीज को जरुरी चिकित्सा की आवश्यकता हो क्योंकि किसी भी बीमार अवस्था में किसी भी व्यक्ति के लिए तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाया जाना आवश्यक होता है। ग्रीन कोरिडोर की आवश्यकता तब पड़ती है जब अंग प्रत्यारोपण या किसी दिल या लीवर जैसी गंभीर परिस्थिति के लिए मरीज या अंग जिसका प्रत्यारोपण किया जाना है को एक से दूसरे स्थान तक लेकर जाने के लिए कम से कम समय की आवश्यकता होती है।
प्रशासन से ज्यादा है अपनी ज़िम्मेदारी-
ज़रूरत है प्रशासन और आम आदमी दोनों को ही सही होने की । ट्रैफिक पुलिस हमारा कितना भी साथ दे दे लेकिन जब तक ट्रैफिक व्यवस्था को सही से संचालित नहीं किया जाता तब तक समस्या का सही समाधान नहीं निकल सकता। कागज़ी तौर पर नियम जारी रखने में सिर्फ समाज का नुकसान ही होगा|

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